Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा में सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतार दिया है. ज्यादातर पार्टियों में टिकट कटने से नेताओं के बीच नाराजगी दिख रही है. कांग्रेस में भी टिकट पर घमासान दिखा. कांग्रेस में अब इस बात की भी चर्चा हो रही है कि टिकट बंटवारे में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट का प्रभाव ज्यादा रहा या कुमारी सैलजा की ज्यादा चली?

टिकट बंटवारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट का प्रभाव ज्यादा दिखा है. सूत्रों की मानें तो हुड्डा के कहने पर पार्टी ने 72 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. वहीं, कुमारी सैलजा के कहने पर पार्टी ने 9 प्रत्याशियों को टिकट दिया है. 

वहीं, रणदीप सुरजेवाला गुट के कहने पर पार्टी ने 2 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. इसके साथ ही कांग्रेस नेतृत्व की सिफारिश पर 5 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है. अजय यादव के कहने पर 1 प्रत्याशी को उतारा गया है. जबकि गठबंधन में कांग्रेस ने एक टिकट CPIM को दिया.

कुमारी सैलजा के टिकट

पंचकुला

जगाधरी

अंबाला कैंट

नारायणगढ़

सढौरा

असंध

हिसार

कालका 

सूत्रों के मुताबिक तिगांव और बल्लभगढ़ विधानसभा सीट को लेकर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उम्मीदवारों के नाम सजेस्ट नहीं किए थे. सियासी गलियारों में अक्सर इस बात की चर्चा होती है कि हरियाणा में कांग्रेस पार्टी अंदरुनी कलह से भी जूझ रही है. पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा के बीच टकराव की स्थिति लगातार चर्चा का विषय रही है.

बहरहाल कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशियों की जो सूची जारी की है, उससे ये झलक रहा रहा है कि हुड्डा परिवार का रूतबा अभी भी पार्टी में बरकरार है. कुमारी सैलजा विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहती थी लेकिन पार्टी ने किसी भी मौजूदा सांसद को टिकट नहीं दिया. सैलजा कई मौके पर खुद को सीएम पद के लिए दावेदार भी बता चुकी हैं. सैलजा और दीपेंद्र हुड्डा के अलग-अलग प्रचार अभियान पर भी सवाल खड़े होते रहे हैं. 

बता दें कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर नामांकन भरने की गुरुवार (12 सितंबर) अंतिम तारीख थी. निर्वाचन आयोग के कार्यक्रम के मुताबिक प्रदेश में 5 अक्टूबर को वोटिंग होगी, जबकि 8 अक्टूबर को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे.

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