अरावली श्रृंखला में 100 मीटर से नीचे की चोटियों को संरक्षण से बाहर करने के सुप्रीमकोर्ट के फैसले के विरोध में यूथ कांग्रेस ने अरावली बचाओ सद्भावना संकल्प अनशन शुरू कर दिया है. साइबर सिटी गुरुग्राम में हवन यज्ञ के साथ भविष्य को बचाने के लिए अरावली सत्याग्रह पर बैठे प्रदर्शनकारियों ने इस फैसले को पर्यावरण के लिए खतरनाक बताया है.
'दिल्ली-एनसीआर की प्राकृतिक सुरक्षा कवच है अरावली'
यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष निश्चित कटारिया ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले से अरावली पर गंभीर संकट आ गया है. उन्होंने कहा, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अरावली दिल्ली-एनसीआर के लिए प्राकृतिक सुरक्षा कवच है. अरावली की वजह से ही वायु प्रदूषण को रोकने, जल संरक्षण और तापमान को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है. सुप्रीमकोर्ट को यह फैसला देशहित, जनहित और इंसानहित में बदलना चाहिए.
'पूरी अरावली के अस्तित्व पर खतरा'
कांग्रेस के पूर्व खेल मंत्री सुखवीर कटारिया ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले के विरोध में पूरे देश में आवाज उठ रही है. उन्होंने बताया, अरावली दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है, जो लाखों साल पहले बनी थी. गुजरात से राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक करीब 800 किलोमीटर में अरावली श्रृंखला फैली हुई है. अब सुप्रीमकोर्ट के फैसले के हिसाब से पूरी अरावली को खत्म कर दिया जाएगा. फैसले में कहा गया है कि अरावली इलाके में 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को अपने आप जंगल के तौर पर क्लासिफाई नहीं किया जा सकता.
'ग्रीन अरावली अभियान पर सवाल'
इंटक नेता अमित ने कहा कि 2 अक्टूबर 2025 को गुरुग्राम की धरती से ग्रीन अरावली अभियान चलाने वाले देश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री की बड़ी बातें आज बौनी साबित हो रही हैं. उन्होंने कहा, लोगों को अरावली बचाने के लिए रोज एक घंटा काम करने का आह्वान करने वाले मंत्री की बातें आज गुरुग्राम की जनता के साथ धोखा नजर आ रही हैं. राज्य स्तर पर वन्यजीव सप्ताह समारोह करने वाली हरियाणा की भाजपा सरकार ने 500 एकड़ में नमो वन में वृक्षारोपण अभियान शुरू किया था. नमो वन के नाम का ढोंग आज जनता के सामने आ गया है.
'ब्रिटिश काल में भी थी अरावली की अहमियत'
प्रदर्शनकारियों ने याद दिलाया कि ब्रिटिश काल में दिल्ली को राजधानी इसलिए बनाया गया था क्योंकि इसके एक तरफ अरावली और दूसरी तरफ यमुना नदी थी, जो प्राकृतिक संतुलन बनाए रखती थी. भारत की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली लाने का मुख्य कारण भी यही था कि यहां पर्यावरण का फायदा था.
कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि सुप्रीमकोर्ट का जो फैसला अरावली के खिलाफ आया है, वह भाजपा सरकार की ओर से सुप्रीमकोर्ट में कमजोर पैरवी के कारण हुआ है. उन्होंने कहा कि जो अरावली अपनी हरियाली से हमें जीवनदान दे रही है, उसे मरुस्थल नहीं बनाया जा सकता.
'इंसानों से लेकर जंगली जानवरों तक पर असर'
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अरावली का अस्तित्व मिटने से इंसानों से लेकर जंगली जानवरों तक का खात्मा हो जाएगा. अरावली न सिर्फ पर्यावरण संतुलन बनाए रखती है बल्कि यह वन्यजीवों का भी प्राकृतिक आवास है.