हरियाणा में आईपीएस पूरन कुमार और एएसआई संदीप लाठर की आत्महत्या के मामलों ने नया मोड़ ले लिया है. पूर्व सांसद और दलित नेता डॉ. उदित राज ने इन दोनों घटनाओं को 'सुनियोजित साजिश' बताते हुए कई गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने प्रेस वार्ता में कहा कि क्या कभी खुदकुशी का बदला खुदकुशी से लिया गया है?- यह पूरा मामला आत्महत्या नहीं, बल्कि किसी बड़ी राजनीतिक चाल का हिस्सा लगता है.

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डॉ. उदित राज ने कहा कि जींद निवासी एएसआई संदीप लाठर अक्सर अपने एक रिश्तेदार से मिलने रोहतक आते थे, जो बीजेपी से जुड़े हुए हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि लाठर ने आत्महत्या के लिए रोहतक को ही क्यों चुना. उनके अनुसार, लाठर के सुसाइड नोट में न तो किसी पर आरोप है और न ही किसी विवाद का जिक्र-  बल्कि उसमें बीजेपी सरकार, डीजीपी शत्रुजीत कपूर और एसपी नरेंद्र विजारनिया की प्रशंसा की गई है.

नेताओं की मौजूदगी से बढ़े शक के साए

पूर्व सांसद और दलित नेता डॉ. उदित राज ने कहा कि अगर लाठर सच में ईमानदार और सच्चे थे, तो वे आईपीएस पूरन कुमार केस में साक्ष्य पेश कर सकते थे. लेकिन आत्महत्या कर उन्होंने साक्ष्यों को खत्म कर दिया. उदित राज का दावा है कि यह घटना एक तीर से कई निशाने साधने जैसी है, क्योंकि अब उल्टा पीड़िता पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया है.

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पूर्व सांसद ने यह भी सवाल उठाया कि लाठर की मौत के बाद बीजेपी नेताओं की मौके पर मौजूदगी क्या किसी साजिश की ओर इशारा नहीं करती. उन्होंने बताया कि रमेश लोहार जैसे बीजेपी नेता, जो पहले जाट आंदोलन और पहलवानों के विरोध में रहे हैं, इस मामले में सक्रिय दिखे- जिससे शक और गहराता है.

दलित अफसरों को टारगेट कर रही सरकार - उदित राज

डॉ. उदित राज ने कहा कि दलित अफसरों को टारगेट करना बीजेपी सरकार की नीति बन चुकी है. उन्होंने आईएएस अमनीत कुमार और उनके भाई, पंजाब के विधायक अमित रतन के खिलाफ दर्ज एफआईआर को मनुवादी सोच का उदाहरण बताया. उन्होंने कहा कि अगर एक आईएएस-आईपीएस परिवार को झूठे मामलों में फंसाया जा सकता है, तो आम दलित नागरिक का क्या हाल होगा.

उन्होंने दलित समाज से एकजुट होकर देशव्यापी आंदोलन की अपील की और कहा कि मायावती जैसे नेताओं की चुप्पी ने दलित राजनीति को कमजोर किया है. अंत में, उदित राज ने मांग की कि इन दोनों आत्महत्याओं की जांच हाईकोर्ट के जज की निगरानी में हो और आईएएस अमनीत कुमार पर दर्ज 'फर्जी मुकदमा' तुरंत निरस्त किया जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके.