Veer Narmad South Gujarat University: अमित चौवटिया (बदला हुआ नाम) ने इस साल की शुरुआत में एलएलबी पूरा किया और अपनी मार्कशीट के आधार पर, उन्हें 'सनद' - कानून का अभ्यास करने का लाइसेंस और एलएलएम में प्रवेश मिला. हालांकि छह महीने बाद उसे पता चला कि वो पांचवें सेमेस्टर में एक विषय में फेल हो गया है. जबकि उन्हें पहले 56 अंक मिले थे, संशोधित परिणामों में उन्हें शून्य मिला था. टीओआई में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, जब उन्होंने वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय (वीएनएसजीयू) से पूछताछ की, तो उन्हें बताया गया कि उन्हें कक्षा में पर्यवेक्षक ने पकड़ लिया था और फोटो गैलरी में प्रश्न पत्र के फोटोज मिले थे. उसे अपनी गलती के लिए एक अंडरटेकिंग लिखने के लिए कहा गया था, और कहा गया था कि अगर VNSGU समिति द्वारा आचार संहिता के लिए दोषी ठहराया जाता है तो उसे शून्य अंक मिल सकते हैं.


पहले किया पास फिर कर दिया फेल
चोवतिया ने कहा, “मुझे राहत मिली जब मुझे 56 अंक मिले और मुझे लगा कि विश्वविद्यालय ने मुझे दोषी नहीं ठहराया है. लेकिन जब लगभग 1,200 छात्रों के परिणाम संशोधित किए गए तो मुझे शून्य अंक मिला.” एलएलबी छात्रों द्वारा कई अपीलों और आरटीआई आवेदनों के बाद, पांचवें सेमेस्टर परीक्षा के एमसीक्यू प्रारूप में गलत प्रश्नों और उत्तरों के बारे में चिंता जताते हुए, वीएनएसजीयू गलत प्रश्नों के लिए अनुग्रह अंक देने पर सहमत हुआ. विश्वविद्यालय ने पांचवें सेमेस्टर के परिणाम के बाद लगभग 1,200 छात्रों की मार्कशीट को संशोधित किया, और इन छात्रों को अब एलएलबी का अंतिम परिणाम मिल गया है.


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वीएनएसजीयू के अधिकारी ने कही ये बात
अंतिम परिणाम के आधार पर इन छात्रों ने 'सनद' लिया और आगे की पढ़ाई में प्रवेश लिया. लेकिन अंकों में संशोधन के कारण छात्रों को अब उन संस्थानों में नए सिरे से रिजल्ट जमा करना होगा, जहां उन्होंने प्रवेश लिया है. छात्र ने कहा, “मुझे वीएनएसजीयू के अधिकारियों ने बताया कि मुझे एक परीक्षा में अनुचित साधन अपनाने के कारण शून्य मिला है. लेकिन वे यह नहीं बता सके कि मुझे पहले क्यों क्लियर किया गया और 56 अंक दिए गए.” वीएनएसजीयू के परीक्षा नियंत्रक ए वी धदुक ने कहा, “मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है. यदि छात्र विश्वविद्यालय से संपर्क करता है तो हम पता लगा सकते हैं कि क्या गलत हुआ है.”


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