Twin Tower Demolition: ट्विन टावरों को गिराए जाने से नोएडा और ग्रेटर नोएडा में घरों की मांग और कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है. विशेषज्ञों का यह भी मानना ​​है कि नौ साल से अधिक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद रविवार को अवैध ढांचों को गिराने से भी उपभोक्ताओं की भावनाओं को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.


उत्तर प्रदेश में तेजी से बढ़ते नोएडा और ग्रेटर नोएडा संपत्ति बाजार में स्थित सुपरटेक के ट्विन टावरों को ढहाने का निर्णय ऐसा ही एक उदाहरण है. क्रेडाई एनसीआर के अध्यक्ष मनोज गौड़ ने बताया, ‘‘ट्विन टावर को गिराने से नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कीमतों और मांग पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हाल ही में इमारतों को तोड़ा गया है, लेकिन यह खबर पुरानी है और क्षेत्र आगे बढ़ गया है.’’


गौड़ समूह के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ने कहा कि मांग और मूल्य निर्धारण को प्रभावित करने वाले कारण वर्तमान में पूरी तरह से अलग हैं.


आवास ब्रोकरेज कंपनी एनारॉक के वाइस चेयरमैन संतोष कुमार ने कहा कि ट्विन टावर के विध्वंस से पता चलता है कि अधिकारियों और न्यायपालिका की भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त नीति है.


उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रणाली में उपभोक्ताओं के विश्वास को मजबूत करता है और उन्हें काफी हद तक सशक्त बनाता है. खरीदार आज अधिक समझदार हैं और एक साफ-सुथरी पृष्ठभूमि वाले डेवलपर्स और परियोजनाओं के साथ जाना पसंद करते हैं.’’


एनारॉक के अनुसार, नोएडा और ग्रेटर नोएडा के लिए मौजूदा औसत आवासीय अचल संपत्ति की कीमत क्रमश: 5,120 रुपये प्रति वर्ग फुट और 3,750 रुपये प्रति वर्ग है. जबकि पिछले पांच वर्षों के दौरान मूल्यवृद्धि क्रमशः आठ प्रतिशत और 15 प्रतिशत रही है.


एनारॉक के आंकड़ों के अनुसार, नोएडा-ग्रेटर नोएडा में आवासीय परियोजनाओं में फ्लैट बुक करने वाले खरीदार सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. मई के अंत में इन दोनों शहरों में 1.18 लाख करोड़ रुपये के 1.65 लाख से अधिक फ्लैट पूरे नहीं हुए थे या काफी समय से अटके हुए हैं. जेपी इन्फ्राटेक, यूनिटेक, आम्रपाली और द 3सी कंपनी कुछ बड़ी कंपनियां हैं, जिनकी दिल्ली-एनसीआर में परियोजनाएं ठप पड़ी हुई हैं.


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