Delhi News: दक्षिण-पूर्व दिल्ली (South-East Delhi) में डीएनडी पुल (DND Bridge) के पास रविवार को एक दर्दनाक हादसा हो गया. ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) से मूर्ति विसर्जित (Idol Immersion) करने आए पांच युवक यमुना (Yamuna) नदी में डूब गए. सूचना मिलते ही पुलिस के अलावा दमकल विभाग, गोताखोर और आपदा प्रबंधन की टीम मौके पर पहुंची और बचाव कार्य शुरू किया. शाम होते-होते बचाव दल ने सभी पांच लड़कों के शव बरामद कर लिये, जिसके बाद उन्हें सफदरजंग अस्पताल (Safdarjung hospital) पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया.
इस हादसे में दो सगे भाइयों की भी मौतशवों को कब्जे में लेकर सफदरजंग अस्पताल की मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दिया गया है. सभी मृतक ग्रेटर नोएडा के सलारपुर गांव के रहने वाले थे. इस हादसे में दो सगे भाइयों की भी मौत हुई है. पहले हादसे की सूचना नोएडा पुलिस को दी गई जिससे बचाव कार्य में देरी हुई. अब जामिया नगर थाना पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है.
पांच लोगों की मौत से गांव में पसरा मातमदक्षिण-पूर्व जिला पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मृतकों की पहचान ग्रेटर नोएडा के सलारपुर गांव निवासी राजेंद्र पुत्र अंकित (20), राजेंद्र पुत्र लकी(16), हरीकिशोर पुत्र ललित(17), रामनाथ पुत्र बीरू(19), मुन्ना श्रीवास्तव पुत्र ऋतुराज उर्फ शानू (20) के रूप में हुई है. एक साथ पांच बच्चों के मरने की खबर से पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है.
मूर्ति विसर्जित करने आया था 18 लोगों का समूहपुलिस अधिकारियों ने बताया कि हादसा दोपहर करीब 1 बजे डीएनडी यमुना पुल के नीचे हुआ. 18 लोगों के समूह में सभी लड़के सरालपुर गांव से श्रीकृष्ण की मूर्ति लेकर यमुना में विसर्जित कर रहे थे, तभी मूर्ति पानी में फंस गई. मूर्ति को आगे विसर्जित करने के लिए समूह के 6 लड़के पानी के अंदर चले गए. मूर्ति को तो उन लड़कों ने खींचकर निकाल लिया, लेकिन इसके बाद वे सभी गहरे पानी की ओर चले गए और अचानक वहां जाकर डूबने लगे. उन्होंने शोर मचाया तो किसी तरह एक लड़के को सकुशल बाहर निकाल लिया गया जबकि पांच लड़के गहरे पानी में डूब गए.
पुलिस कार्रवाई में देरी न होती तो बच सकती थी जानघटनास्थल से लोगों ने पहली कॉल नोएडा पुलिस को दी. नोएडा पुलिस मौके पर पहुंच भी गई, लेकिन उन्होंने कहा कि जिस जगह हादसा हुआ वह इलाका दिल्ली पुलिस का है और इसके बाद करीब सवा घंटे बाद दिल्ली पुलिस को हादसे की जानकारी दी गई. इससे उन पांच बच्चों को बचाने में काफी समय लग गया. शायद सूचना पहले ही दिल्ली पुलिस को दे दी जाती तो बच्चों की जान बच सकती थी.
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