Delhi News: यमुना में एक बाद फिर से उफान के कारण रजधानी दिल्ली में फिर से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. हालांकि, प्रशासन बाढ़ के खतरे को देखते हुए हाई अलर्ट पर है और इससे निपटने के लिए तैयारी में लगी हुई है. दिल्ली सरकार जहां एक तरफ बाढ़ की आपदा से बचाव की कवायद में लगी है तो वहीं यमुना के उफान मारते पानी से दिल्ली वासियों के सामने हर साल उत्पन्न होने वाले जल संकट को दूर करने की सकारात्मक और अनोखी पहल भी कर रही है.


भूजल स्तर को बढ़ाने सरकार आजमा रही कई उपायों को
दिल्ली में भले ही यमुना अभी उफान मार रही है, और बीते दिनों बाढ़ के कारण हर तरफ दिल्ली में पानी ही पानी नजर आ रहा था, लेकिन इसी दिल्ली का भूजल स्तर लगातार घटता जा रहा है,  जिसे बढ़ाने के लिए सरकार कई उपायों को आजमा रही है. इसके तहत सरकार जहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग, तालाब और झील का निर्माण कर उन्हें वाटर रिसोर्सेज बॉडी के रूप में विकसित कर रही है तो वहीं, इस आपदा को एक मौके के रूप में देखते हुए यमुना के पानी से दिल्ली के वाटर लेवल को चार्ज करने की कोशिश की जा रही है.


हिरणकी गांव के 2 किलोमीटर लंबे नहर को ब्लॉक कर बनाया वाटर बॉडी
यमुना का पानी ओवरफ्लो होकर खेतों में भर चुका है, जिसे संरक्षित करने और खेतों से पानी निकालने के उद्देश्य से फ्लड डिपार्टमेंट ने उस पानी को हिरणकी गांव के एक नहर की तरफ मोड़ दिया है, जिससे इसका संरक्षण कर भूजल स्तर को बढ़ाया जा सके और भविष्य में इससे दिल्ली के लोगों की पानी की कमी को पूरा किया जा सके. इसके लिए तकरीबन 2 किलोमीटर लंबी नहर को ब्लॉक कर वाटर बॉडी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.


खेतों में भरे पानी को नहर में किया जा रहा स्टोर
दरअसल 1978 में दिल्ली में आई बाढ़ के बाद इस नहर को बनाया गया था, जिससे खेतों में पानी भरने से बचाया जा सके. लेकिन वर्षों से इसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था. स्थानीय निवासी मनी और दुष्यंत ने एबीपी लाईव की टीम के साथ बातचीत में बताया कि बाद में इस नहर को नालों के पानी से जोड़ दिया गया, जिसे आगे प्लांट में ट्रीट कर दिल्ली के लोगों को आपूर्ति की जाती है. लेकिन अब सरकार ने वाटर लेवल को चार्ज करने के उद्देश्य से, हिरणकी गांव के पास लाल बिल्डिंग यमुना पुश्ते के करीब करीब 2 किलोमीटर लंबी नहर जिसका कोई इस्तेमाल नहीं था को पुनः विकसित किया और इसकी कनेक्टिविटी खेतों में आने वाली पानी से कर दी. अब जब भी हथनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी यमुना के रास्ते खेतो में भरता है, वह हिरणकी यमुना पुस्ते तक पहुंचने के बाद इससे जुड़ी नहर के माध्यम से वाटर रिसोर्सेज बॉडी में स्टोर किया ज रहा है. खास बात यह है कि इसमें कितना भी पानी छोड़ने के दो-चार दिन के अंदर ही यह जमीन में समा जाता है.


दिल्ली में हर साल गर्मियों में होती है पानी की किल्लत
आपको बता दें दिल्ली में हर वर्ष गर्मी के दिनों में पानी की किल्लत से हाहाकार होती है और दिल्ली सरकार को पानी की किल्लत पूरी करने करना एक चुनौती बन जाता है. हालांकि दिल्ली सरकार काफी वर्षों से दिल्ली में पानी की किल्लत को खत्म करने के लिए एक इस तरह की वाटर रिसोर्सेज बॉडी बना रहा है. कई जगह पुराने तालाबों को विकसित किया गया कुछ जगहों पर झील बनाई गई है. हिरणकी लाल बिल्डिंग ओर इस वाटर रिसोर्सेज बॉडी को दो कारणों से बनाया गया है जिसमें एक तरफ ग्रामीण इलाको का नाले नालियों का पानी ट्रीट कर वाटर रिसोर्स इस बॉडी में भेजा जाएगा. वही दूसरी तरफ जब यमुना नदी के ओवर फ्लो पानी को इस वाटर रिसोर्स बॉडी में स्टोर किया जा सकेगा.