Delhi University: दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. सुबह होने वाले प्रेयर में उपस्थित न होने पर छात्रों को परीक्षा में बैठने से रोका जा रहा है. जानकारी के अनुसार मॉर्निंग प्रेयर, असेंबली में बाइबल के चैप्टर और वर्सेज पढ़ाए जाते हैं, जिसके बाद जीज्स के गीत होते हैं. वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज के प्रिंसिपल जॉन वर्गीस की तरफ से विवादित नोटिस भेजा गया है. इसमें मॉर्निंग प्रेयर में कम अटेंडेंस वाले छात्रों को सस्पेंड किया गया है.


प्रिंसिपल जॉन वर्गीस की तरफ से छात्रों को सेमेस्टर- 2 की परीक्षा ना देने की इजाज़त को लेकर नोटिस जारी किया है. वहीं 100 से ज्यादा छात्रों के माता-पिता को दिल्ली बुलाया गया है. सेंट स्टीफेंस कॉलेज के करीब 130 छात्रों को कॉलेज से निलंबित कर दिया गया है और धमकी दी गई है कि उन्हें परीक्षाओं में बैठने से भी रोक दिया जाएगा. दिल्ली विश्वविद्यालय के नियमों में ऐसा कोई नियम नहीं है जिसके तहत छात्रों को परीक्षाओं में बैठने से इसलिए रोका जाए क्योंकि उन्होंने मॉर्निंग प्रेयर में उपस्थिति दर्ज नहीं की. सुबह की सभा सेंट स्टीफंस कॉलेज के लिए एक ख़ास सम्मेलन है और इसे विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है (परीक्षाओं में उपस्थित होने के लिए इसकी आवश्यकता होने की बात नहीं है). 


संविधान के नजरिए से क्यों गलत हैं प्रिंसिपल?
• असेंबली उपस्थिति को अनिवार्य बनाने में संविधान के अनुच्छेद 25 और 28(3) के तहत छात्रों के fundamental rights (मौलिक अधिकारों) का उल्लंघन हो सकता है. इसलिए अवैध है. 
• सेंट स्टीफेंस की कॉलेज असेंबली में हमेशा धार्मिक प्रार्थनाओं और धार्मिक ग्रंथों का पाठ शामिल होता है. ऐसे में संविधान में दिया अनुच्छेद 28(3) के अनुसार, 28 में कुछ शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक पूजा में उपस्थिति के संबंध में स्वतंत्रता दी गई है.
• राज्य की ओर से मान्यता प्राप्त किसी शैक्षणिक संस्थान में भाग लेने वाले या राज्य निधि से सहायता प्राप्त करने वाले किसी भी व्यक्ति को ऐसे संस्थान में दिए जाने वाले किसी भी धार्मिक निर्देश में भाग लेने या ऐसे संस्थान में या किसी भी धार्मिक पूजा में भाग लेने की आवश्यकता नहीं होगी. 
• यानि छात्रों को हमारे संविधान की ओर से मौलिक अधिकार है कि वे किसी भी मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान में आयोजित किसी भी कार्यक्रम में धार्मिक शिक्षा या पूजा में भाग ले या नहीं लें.


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