वरिष्ठ नेताओं और समर्थकों द्वारा प्रख्यात समाजवादी नेता शरद यादव के निधन को एक युग का अंत करार दिए जाने के बीच उनकी बेटी सुभाषिनी ने कहा कि उनके (शरद यादव) दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना ही उन्हें सच्ची श्रद्धाजंलि होगी. सुभाषिनी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनके पिता शरद यादव हजारों दबे-कुचले लोगों की आवाज बने. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यादव के समान विचारधारा वाले दलों को एक साथ लाने समेत अन्य विचारों को आगे बढ़ाया जाना चाहिए.


'दबे-कुचले लोगों की आवाज बने मेरे पिता'
सुभाषिनी ने कहा, ‘‘यह हमारे लिए बहुत दुखद दिन है. वह सिर्फ हमारे पिता नहीं थे, वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने हजारों दबे-कुचलों को आवाज दी. उन्होंने पिछड़ों और दलित वर्गों से संबंधित मुद्दों को उठाया ... उन्होंने ‘मंडल’ रिपोर्ट के कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया और यही कारण है कि उन्हें ‘मंडल मसीहा’ कहा जाता था.’’ उन्होंने कहा कि उनके पिता ने समाज के लिए काम किया और पिछड़े वर्गों पर ध्यान केंद्रित किया.


'हम उनकी विरासत को आगे बढ़ाएंगे'
सुभाषिनी ने कहा, ‘‘उन्होंने (शरद यादव) जिस तरह से समाज के लिए काम किया, शायद वह उन चंद लोगों में से एक हैं, जिन्होंने हमेशा पिछड़े वर्ग पर ध्यान केंद्रित किया. मुझे उम्मीद है कि मैं और मेरा भाई उनकी विरासत को आगे बढ़ा पाएंगे... न सिर्फ राजनीति के लिहाज से, बल्कि एक अच्छा इंसान बनकर भी, जो बहुत जरूरी है.’’


एक साथ मंच पर आएं समाजवादी विचारधारा के लोग
उन्होंने कहा, ‘‘लोग महसूस कर रहे हैं कि एक युग का समापन हो रहा है और एक खालीपन पैदा हो गया है. खालीपन को भरना हम पर निर्भर करता है. मैं स्थान लिए जाने के बारे में बात नहीं कर रही हूं, मैं इस विचार के बारे में बात कर रही हूं कि समान विचारधारा वाले लोगों को एक मंच पर साथ आना चाहिए.’’ सुभाषिनी ने कहा, ‘‘अगर हम गरीब और पिछड़े वर्ग के लिए काम करेंगे तो यही मेरे पिता के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.’’ दिग्गज समाजवादी नेता शरद यादव ने बृहस्पतिवार को गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली. वह 75 वर्ष के थे.


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