Sanjay Singh On National Disaster: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय सिंह ने मंगलवार (25 मार्च) को राज्यसभा में राष्ट्रीय आपदा के दौरान उससे निपटने के लिए केंद्र सरकार को कई सुझाव दिए. उन्होंने कहा कि आपदा के दौरान सरकार को किसी राजनीतिक दल, संस्था या अन्य पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के बजाय सबको साथ लेकर चलना चाहिए. क्योंकि किसी भी आपदा से निपटने के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह की मदद की आवश्यकता होती है.
उन्होंने कहा, ''आपदा के दौरान तात्कालिक मदद की जरूरत अलग होती है, लेकिन उसके बाद पीड़ितों के घाव भरने और उसे बर्बादी से उबारने की जरूरत बड़ी होती है. गुजरात, तमिलनाडु, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और नेपाल में आई आपदा के दौरान हमारी संस्था और 'आप' कार्यकर्ताओं ने वहां पीड़ितों की मदद करने की जिम्मेदारी ली थी.''
आपदा में एक-एक व्यक्ति की भूमिका अहम- संजय सिंह
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता आगे कहा, ''जब देश में कहीं भी राष्ट्रीय आपदा आती है, तो उसमें केंद्र और राज्य सरकार, सामाजिक संस्थाओं, राजनीतिक दलों समेत एक-एक व्यक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. वरना राष्ट्रीय आपदाओं से निपटना बहुत मुश्किल हो जाता है. हर व्यक्ति के जीवन के सामाजिक, राजनीति समेत कई पहलू होते हैं. मैं ऐसी घटनाओं का न सिर्फ न्यूज चैनलों पर गवाह रहा हूं, बल्कि मौके पर जाकर काम किया हूं.
भुज भूकंप का किया जिक्र
उन्होंने आगे बताया कि शहीद चंद्रशेखर आजाद जी के नाम पर मेरी आजाद समाज सेवा समिति एक संस्था थी. उस वक्त भुज का भूकंप आया था. वह घटना बहुत ही पीड़ादायक थी. 26 जनवरी का दिन था, बच्चे गणतंत्र दिवस का जूलूस लेकर निकल रहे थे, तभी भूकंप आ गया और उसकी चपेट में आकर बहुत सारे बच्चों की मौत हो गई थी.
संजय सिंह ने ये भी कहा, ''जब भूकंप आया था, तब जॉर्ज फर्नांडिंस एनडीए के संयोजक थे और उन्होंने उस समय बयान दिया कि एक लाख लोगों की मौत हुई थी. यह बहुत बड़ी त्रासदी थी. अब समझ में नहीं आ रहा था कि उसमें हम लोगों की भूमिका क्या हो सकती है?''
उन्होंने बताया कि हम लोगों ने शहर के व्यापारियों, संस्थाओं और तमाम लोगों को इकट्ठा किया. शहर के अंदर जूलूस निकाला और चंदा जमा किया. भुज में पूरे देश से बहुत सारी खाद्य सामग्री पहुंचने लगी. यह भी खबरें आने लगी कि उस सामग्रियों का सही तरीके से सदुपयोग नहीं हो पा रहा. हमने हेल्प लाइन नंबर खोजा कि कहां से बात की जाए, जिससे उनकी मदद हो सके''
संजय सिंह ने कहा, ''अहमदाबाद की एक संस्था कच्छी जैन सेवा समाज मिली. इस संस्था के लोगों से मैने संपर्क किया. उन्होंने बताया कि वहां ज्यादा से ज्यादा टेंट की जरूरत है. उन्होंने हमसे ज्यादा से ज्यादा टेंट और जरूरत की कई चीजें लाने के लिए कहा. मैंने कानपुर से जरूरत की चीजों को इकट्ठा किया. उस समय रेल मंत्री ममता बनर्जी थीं. उन्होंने एक अच्छा ऐलान किया था कि जो भी व्यक्ति गुजरात के भूकंप में मदद के लिए जाना चाहता है, उसको टिकट का कोई किराया नहीं लगेगा और मदद के लिए सामग्री लेकर जा सकता है.''
संजय सिंह ने वहां के दृश्यों का वर्णन करते हुए कहा, ''घर, स्कूल, अस्पताल सब ढह गए थे, सड़कें टूट गई थीं. ऐसा लग रहा था कि लोग कभी इस आपदा से उबर नहीं पाएंगे. मैंने देखा कि कई संस्थाओं ने गांवों को गोद लिया, बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी ली और इस तरह के काम किए गए.''
संजय सिंह ने केंद्र से क्या आग्रह किया?
संजय सिंह ने अंत में सरकार से अनुरोध किया कि राष्ट्रीय आपदाओं के प्रबंधन में आपसी आरोप- प्रत्यारोप या ब्लेम गेम से कोई फायदा नहीं होगा. इसके बजाय, समाज, संस्थाओं और राजनीतिक पार्टियों को जोड़कर अधिकतम मदद करनी चाहिए. उन्होंने जोर दिया कि आपदा प्रबंधन में तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह की मदद जरूरी है और यही इसका सही तरीका है.