आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए 'बचत उत्सव' को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने नोटबंदी, जीएसटी और टैक्स प्रणाली का हवाला देते हुए इसे जनता को गुमराह करने वाला कदम बताया. संजय सिंह ने कहा कि जब भी प्रधानमंत्री किसी जश्न की घोषणा करते हैं, देश की जनता उनके बहकावे में आकर असलियत भूल जाती है. उन्होंने तंज कसा कि यह बचत उत्सव है या चपत उत्सव.

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आप सांसद ने कहा, "नोटबंदी के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि 50 दिन में बदलाव न दिखा तो किसी भी चौराहे पर फांसी के लिए तैयार हैं. लेकिन हकीकत यह रही कि 100 लोगों की जान चली गई और 99 फीसदी पैसा बैंकों में वापस चला गया. न तो भ्रष्टाचार खत्म हुआ, न ही काला धन."

'जीएसटी से जनता की कमर टूटी'

संजय सिंह ने जीएसटी को लेकर कहा कि 8 साल तक उनकी पार्टी लगातार कहती रही कि यह टैक्स सिस्टम आम आदमी की कमर तोड़ रहा है, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की. उनके मुताबिक 127 लाख करोड़ रुपए की लूट केवल जीएसटी के नाम पर हुई है.

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'80 लाख करोड़ की लूट और अब बचत उत्सव'

उन्होंने आरोप लगाया कि बीते आठ वर्षों में आम जनता से टैक्स के नाम पर करीब 80 लाख करोड़ रुपए वसूले गए हैं. बावजूद इसके प्रधानमंत्री अब 2 लाख करोड़ की बचत की बात कर रहे हैं, जबकि सरकार को 47 हजार करोड़ का घाटा होने का अनुमान है. उन्होंने तंज कसते हुए बीजेपी को 'भारतीय जेबकतरा पार्टी' बताया.

'विदेशी सामान में डूबे, फिर भी स्वदेशी का नारा'

संजय सिंह ने कहा, "प्रधानमंत्री कैमरे पर स्वदेशी अपनाने की बात करते हैं, लेकिन उनके कपड़े, चश्मा, गाड़ियां और यहां तक कि कैमरे भी विदेशी हैं." उन्होंने व्यंग करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री का दिल आदानिस्तानी है, सर से पांव तक विदेशी माल में डूबे हैं और अब 8 साल बाद वे बचत उत्सव की बात कह रहे हैं. जब अमेरिका ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया तब उनको स्वदेशी याद आ रहा है."

MSME और आयात पर बड़ा सवाल

उन्होंने दावा किया कि एमएसएमई मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक करीब 3 करोड़ उद्योग बंद हो चुके हैं. इसके बावजूद सरकार स्वदेशी का नारा देती है. भारत ने चीन से 39 लाख करोड़ का माल खरीदा है, जबकि वही चीन पाकिस्तान को हथियार दे रहा है.

'जनता सावधान रहे, कहीं लग न जाये जेब पर चपत'

संजय सिंह ने कहा कि 2023–24 में भारत का आयात 56 लाख करोड़ रुपये रहा, जो 2024–25 में बढ़कर 60 लाख करोड़ हो गया. उन्होंने कहा कि यह सरकार के स्वदेशी के दावों की पोल खोलता है. उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा, अपनी जेबें संभाल कर रखिए, क्योंकि बचत उत्सव कहीं चपत उत्सव न बन जाए.