राजधानी दिल्ली में रोहिणी कोर्ट के न्यायिक मजिस्ट्रेट रोहित कुमार ने जमीन के फैमिली विवाद से जुड़े मामले में एक व्यक्ति की जमानत याचिका मंज़ूर करते हुए अपने आदेश की शुरुआत एक मार्मिक कविता से किया, जिसका शीर्षक जंग ए मिल्कियत रखा. जज ने अपने कविता के द्वारा रिश्तों की अहमियत समझाने की कोशिश की.

जस्टिस रोहित कुमार की यह कविता एक पारिवारिक विवाद के कानूनी मामले को मानवीय संवेदना से जोड़ते हुए यह संकेत देती है कि प्रॉपर्टी की लड़ाई अंत में रिश्तों की बलि ले लेती है, और अंत में कोई कुछ भी साथ नहीं ले जाता.

"मिल्कियत की जंग में ना जाने कितने अफ़साने हुए,

कुछ ही अपने थे, वो भी अब बेगाने हुए.

बनके कृष्ण, अब किसी को आना होगा,

सड़ते, लड़ते, बिगड़ते रिश्तों को बचाना होगा.

ना जाने ये जंग और कितनी महाभारत लाएगी,

आख़िर कितनों को सलाखों तक ले जाएगी.

बनकर बेटी, रिश्तों को बचाना होगा,

सभी नातों को निभाना होगा.

क्या रखा है इस जंग में, कोई बताएगा,

आख़िर इस धरती से कौन क्या ही ले जाएगा."

क्या है पूरा विवाद

यह पूरा मामला इंदु सोनी नाम की महिला की शिकायत से जुड़ा है जिन्होंने अपने बेटे नितिन सोनी और बहू तरुणा सोनी पर आरोप लगाया कि उन्होंने उनकी संपत्ति वंदना अपार्टमेंट, प्रशांत विहार में अवैध रूप से कब्जा कर लिया और उनके साथ मारपीट की. दिल्ली पुलिस की दर्ज एफआईआर के मुताबिक बहू ने लोहे की रॉड से हमला किया जबकि बेटा अंदर मौजूद था.

रोहिणी कोर्ट ने मामले में क्यों दी ज़मानत

रोहिणी कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि नितिन सोनी का घटना में सीधा संलिप्त होना साबित नहीं हुआ है. कोर्ट के आदेश के मुतबिक कोई सीसीटीवी फुटेज या साक्ष्य नहीं मिला जिसमें नितिन ताला तोड़ते या हमला करते दिखें. इसके अलावा आरोपी गंभीर किडनी रोग से पीड़ित हैं और डायलिसिस पर हैं साथ ही उनकी पत्नी और नाबालिग बच्ची की जिम्मेदारी भी उन पर है. कोर्ट ने इन तथ्यों को देखते हुए 25 हजार के निजी मुचलके पर सशर्त ज़मानत मंजूर की साथ ही यह निर्देश भी दिया कि आरोपी गवाहों को प्रभावित न करें और जांच में सहयोग करें.

कोर्ट का यह आदेश संवेदना और सीख

रोहिणी कोर्ट का यह आदेश न सिर्फ कानूनी दृष्टिकोण से अहम रहा बल्कि रोहिणी कोर्ट के जज रोहित कुमार की आदेश की कॉपी में दर्ज कविता रिश्तो की अहमियत पर दी गई एक नैतिक सीख है.