Delhi Rithala Fire Case: दिल्ली के रिठाला इलाके में मंगलवार (24 जून) शाम एक भयानक हादसा हुआ, जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया. यहां एक कपड़े और केमिकल की फैक्ट्री में आग लग गई, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए. यह हादसा शाम करीब 7:26 बजे हुआ. शुरुआत में कर्मचारियों ने आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन आग इतनी तेजी से फैली कि उस पर काबू नहीं पाया जा सका. बताया जा रहा है कि हादसे के वक्त फैक्ट्री में करीब 20-25 लोग काम कर रहे थे.
फायर ब्रिगेड की टीम ने मौके पर पहुंचकर JCB मशीन की मदद से दीवार तोड़ी और फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए नया रास्ता बनाया. तीन शवों को रात करीब 1 बजे तक बाहर निकाला गया, जबकि एक शव को सुबह 8:40 बजे बाहर निकाला गया. इसके अलावा 3 गंभीर रूप से घायल लोगों को इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया है.
ज्यादा लोग छत पर बने टिन शेड में काम कर रहे थे- स्थानीयस्थानीय लोगों ने बताया कि फैक्ट्री की इमारत 5 मंजिला थी और सबसे ज्यादा लोग छत पर बने टिन शेड में काम कर रहे थे. आग इतनी भयानक थी कि कई लोग अंदर ही फंस गए. कुछ महिलाओं को पास की इमारत से सुरक्षित निकाला गया. लोगों को आशंका है कि अंदर अभी और शव मिल सकते हैं.
बिल्डिंग से शाम करीब 5:30 बजे निकलने वाले दूसरे कर्मचारी बताते हैं कि इस बिल्डिंग में 3 कंपनियां चलती थीं. दूसरी मंजिल पर चल रही कंपनी 6 बजे तक बंद हो जाती थी, वहीं बाकी दो कंपनी रात 8 बजे तक खुली रहती थी.
मृतक दिलीप सिंह की दर्दनाक कहानीइस हादसे में जान गंवाने वाले लोगों में फैक्ट्री के सुपरवाइजर दिलीप सिंह भी शामिल थे. वे वहीं फैक्ट्री में रहते थे. हादसे के समय उन्होंने अपनी बेटी को शाम 7 बजे कॉल किया था और बताया कि फैक्ट्री में आग लग गई है और वे अंदर फंसे हैं. इसके बाद उनका फोन बंद हो गया और परिवार से कोई संपर्क नहीं हो पाया.
दिलीप की बेटी और पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है. बेटी ने बताया कि पापा की आखिरी आवाज उसी कॉल में सुनी थी. दिलीप के दामाद ने बताया कि वे फैक्ट्री में सुपरवाइजर थे और काम के साथ वहीं रह रहे थे.
राहत और बचाव कार्य जारीफिलहाल पुलिस और दमकल विभाग की टीमें राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं. आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है और फैक्ट्री मालिकों से पूछताछ की जा रही है. आग लगने की असली वजह जानने के लिए जांच चल रही है. यह हादसा न सिर्फ प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि उन गरीब मजदूरों की जिंदगी पर भी सवाल खड़े करता है जो जान जोखिम में डालकर काम करते हैं.
इस हादसे के बाद कुछ जरूरी सवाल सामने आए हैं. इतनी भीषण गर्मी में मजदूरों से टिन शेड में काम क्यों कराया जा रहा था? आग लगने की जानकारी फायर ब्रिगेड को एक घंटे देर से क्यों दी गई? क्या फैक्ट्री के पास फायर सेफ्टी की मंजूरी यानी FIRE NOC था? इन सब सवालों के जवाब मिलता है या नहीं ये देखने वाली बात होगी.