Beating Retreat Ceremony: खराब मौसम की वजह से गणतंत्र दिवस (Republic Day) के समापन समारोह 'बीटिंग रिट्रीट' में ड्रोन शो नहीं हो सका. राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) के नजदीक विजय चौक (Vijay Chowk) पर भारत का सबसे बड़ा ड्रोन शो होना था. आधुनिकतम एवं स्वदेशी तकनीक से बने 3000 से अधिक ड्रोनों को इस शो का हिस्सा बनाने के लिए कई महीनों से अभ्यास किया जा रहा था. हालांकि, खराब मौसम और बारिश के बावजूद पूरे जोश और उमंग के साथ बीटिंग रिट्रीट परेड का आयोजन किया.


रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यहां बीटिंग रिट्रीट समारोह में देश का सबसे बड़े ड्रोन शो प्रस्तावित था, जिसमें 3,500 स्वदेशी ड्रोन शामिल होने वाले थे. प्रस्तावित शानदार ड्रोन शो से रायसीना पहाड़ियों के ऊपर शाम के आसमान को रोशनी से जगमगाने की संभावना थी. इस दौरान सहज तालमेल के माध्यम से राष्ट्रीय आकृतियों व घटनाओं के असंख्य रूपों को प्रस्तुत करने का अभ्यास भी किया जा चुका था. रक्षा मंत्रालय का कहना है कि दिल्ली में बारिश और खराब मौसम के कारण इस मेगा ड्रोन शो को रद्द करना पड़ा है. यहां 3-डी एनामॉर्फिक प्रोजेक्शन कार्यक्रम आयोजित किया जाना था.


बारिश के बावजूद हुआ बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम 

बारिश के बावजूद बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम निर्बाध रूप से संपन्न हुआ. इस दौरान भारतीय शास्त्रीय रागों पर आधारित भारतीय धुनें इस वर्ष 'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह का आकर्षण रही. तीनों सेनाओं के बैंड से निकलती देशभक्ति से ओतप्रोत धुनों ने लोगों को उत्साह, राष्ट्रभक्ति और जोश से भर दिया. सेना के सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने रविवार को नई दिल्ली के ऐतिहासिक विजय चौक पर 'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह में शिरकत की. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित रहे.


1950 हुई थी समारोह की शुरुआत 

गौरतलब है कि हर साल 29 जनवरी को विजय चौक पर 'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह चार दिवसीय गणतंत्र दिवस समारोह के समापन के तौर पर आयोजित किया जाता है. इस दौरान शानदार कलाओं और रंगों को प्रस्तुत किया जाता है. इस तरह यह समारोह राष्ट्रीय गौरव की एक अनुपम घटना बन जाती है. इस समारोह की शुरुआत 1950 के दशक की शुरुआत में हुई थी, जब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने स्वदेशी रूप से सामूहिक बैंड द्वारा प्रदर्शन के अनोखे समारोह को विकसित किया था. 


सेना की छावनी में वापसी का प्रतीक

यह एक सदियों पुरानी सैन्य परंपरा को दर्शाता है, जब सूर्यास्त के समय रिपीट की आवाज सुनकर सैनिक लड़ाई बंद कर अपने हथियार को रखकर युद्ध के मैदान से अपने शिविरों में वापस लौटते थे. 'बीटिंग द रिट्रीट' सेना की छावनी वापसी का प्रतीक है. समारोह बीते समय की यादों को ताजा करता है.


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