Delhi News: संसद के मानसून सत्र के समापन से ठीक पहले आप आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है. आप के राज्यसभा सांसद और नेता राघव चड्ढा (Raghav Chadha) को सदन से निलंबित कर दिया गया. राज्यसभा (Rajya Sabha) से उनका निलंबन विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक प्रभावी रहेगा. राघव चड्ढा के खिलाफ दिल्ली सेवा विधेयक (Delhi Ordinance Bill) पर पांच सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर मामले में यह कार्रवाई हुई है. खास बात यह है कि आप सांसद संजय सिंह का निलंबन अवधि भी जांच रिपोर्ट आने तक के लिए बढ़ा दी गई है. 


दरअसल, आप सांसद राघव चड्ढा ने सोमवार को दिल्ली सेवा विधेयक को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव रखा था. इसके साथ ही उन्होंने सेलेक्ट कमेटी के लिए पांच सांसदों के नाम का प्रस्ताव भी रखा था. इसके बाद सदन में इस बात का खुलासा हुआ कि राघव चड्ढा ने जिन सांसदों का नाम आगे बढ़ाया था उनकी सहमति उन्होंने नहीं ली थी. बिना सहमति लिए उन्होंने उनका नाम सेलेक्ट कमेटी के लिए प्रस्तावित कर दिया था. उनके इस प्रस्ताव का तीन बीजेपी सांसद, एक बीजू जनता दल सांसद और अन्नाद्रमुक सांसद ने विरोध किया था. इन सांसदों ने कहा था कि नाम भेजने से पहले आप सांसद ने सहमति नहीं ली थी. इस मसले को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गंभीरता से लिया और सदन के सभापति से मामले की जांच की मांग की थी.



ये है बीजेपी की मंशा


सिग्नेचर विवाद मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मांग के बाद राज्यसभा के सभापति ने मामले की जांच सदन की विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया था. दिल्ली अध्यादेश विधेयक 'हस्ताक्षर विवाद' कमेटी के पास भेजे जाने के बाद आप सांसद राघव चड्ढा ने 10 अगस्त को एक संवाददाता सम्मेलन कर दावा किया था कि मोदी सरकार ने एक नई परंपरा शुरू की है. बीजेपी हाईकमान की मंशा साफ है. जो नेता बीजेपी के खिलाफ में बोलेगा उसकी संसद सदस्यता समाप्त करो या सदन से बाहर का रास्ता दिखा दो. इसके अलावा चड्ढा ने ये भी कहा था कि अमित शाह ने सदन में झूठ बोला है. बीजेपी का मंत्र है एक झूठ को हजार बार बोलो, तो वो सच में तब्दील हो जाएगा. फेक सिग्नेचर मामले में बीजेपी अपनी उसी रणनीति के तहत काम कर रही है.