ASI Survey on Purana Quila: देश की राजधानी दिल्ली के सबसे प्राचीन किले में से एक है पुराना किला. इस किले में एक बार फिर से खुदाई का काम जारी है . भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सीनियर अधिकारी वसंत कुमार के नेतृत्व में इस प्राचीन धरोहर में सर्वे का कार्य किया जा रहा है. हिंदू प्राचीन धर्म ग्रंथों के अनुसार महाभारत के पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ इसी पुराने किले के क्षेत्र में स्थित है, जिसके प्रमाण को प्राप्त करने के लिए नये सिरे से सर्वे का काम शुरू किया गया है. इससे पहले भी कई बार इंद्रप्रस्थ का प्रमाण प्राप्त करने के लिए सीनियर अधिकारियों के नेतृत्व में यहां सर्वे का काम जारी है, लेकिन कोई भी प्रमाण ना मलने की वजह से इस बात की अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है कि दिल्ली ही पांडवों की राजघानी इंद्रप्रस्थ का ही हिस्सा है. 


ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार सूरी साम्राज्य का सुल्तान शेरशाह सूरी ने 1538 ई. में दिल्ली के इस किले का निर्माण कार्य शुरू कराया गया था, जिसको मुगल बादशाह हुमायूं द्वारा 1545 ई. में पूरा कराया गया. खास कलाकृतियों से तैयार किए गए इस किले में चार द्वार हैं. उत्तर, दक्षिण पूर्व और पश्चिम. यहां पर अब पश्चिमी द्वार से ही प्रवेश किया जाता है. 


अभी तक मिल चुके हैं यहां से मौर्य गुप्त और मुगल काल के अवशेष
पिछले कुछ सालों में हुए सर्वे के दौरान इस पुराने किले से अनेक साम्राज्यों के अवशेष मिलने का भी दावा किया गया है. जैसे मौर्य काल, मुगल काल, गुप्त काल आदि. इस किले को लेकर हजारों वर्ष पूर्व महाभारत काल के समय पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ होने का भी दावा हिंदू धर्म ग्रंथों में मिलता है, जिसको प्रमाणित करने के लिए एक बार फिर से यह सर्वे किया जा रहा है.


सर्वे को लेकर लोगों में भी उत्सुकता
बता दें कि ASI भारत की स्वतंत्र जांच एजेंसी है. एएसआई प्राचीन धरोहर व ऐतिहासिक इमारतों से जुड़े तथ्यों को प्रमाणित करने के लिए जानी जाती है. यही वजह है कि राजधानी दिल्ली के प्राचीन किले में चल रहे सर्वे को लेकर लोगों में भी उत्सुकता है. लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर इस किले के अंदर और आसपास के क्षेत्रों का कितना पुराना इतिहास है. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ का प्रमाण इसी किले के नीचे देखने को मिलता है. एएसआई का ताजा सर्वे में इस बात का खुलासा हो जाएगा कि दिल्ली इंद्रप्रस्थ का हिस्सा था या नहीं. इसके अलावा, ऐसे और भी ऐतिहासिक तथ्य रहे हैं जो केवल भारत भूमि पर नहीं बल्कि भारतीय सीमा क्षेत्र से जुड़े दूसरे देशों में भी उनके प्रमाण देखे गए हैं.


यह भी पढ़ें: Delhi: 'LG साहब होश में आओ' विधानसभा में AAP ने लगाए नारे, 15 मिनट के लिए स्थगित हुआ सदन