Delhi News: कैश फॉर क्वेरी मामले में तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा की सदस्यता समाप्त होने को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में आम आदमी पार्टी की प्रमुख राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने तीखी प्रति​क्रिया दी है. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर रुख अख्तियार करते हुए कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज बृजभूषण शरण सिंह सदन में हैं. जबकि महुआ मोइत्रा को सदन से बाहर कर दिया गया है. 

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आवाज को दबाने की बीजेपी की कोशिश

आप प्रवक्ता ने इस घटना को BJP की सोची समझी साजिश करार दिया है. बीजेपी की हमेशा से ये कोशिश रही है कि उसके खिलाफ और जनहित में जो आवाज उठे, उसे दबा दिया जाए. उन्होंने कहा कि विपक्ष की दो सबसे मुखर आवाज संजय सिंह और महुआ मोइत्रा लगातार अडाणी के भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच की मांग करती आई हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए. इसके उल्ट दोनों की आवाज को दवाने की कोशिश जारी है. उन्हेंने कहा कि हम महुआ जी के साथ हैं, लेकिन हम लोग बीजेपी की षडयंत्र को कामयाब नहीं होने देंगे.

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लोकसभा से निष्काषण पर मोइत्रा बयान

कैश फॉर क्वेरी मामले में लोकसभा से खुद के निष्काषण पर महुआ मोइत्रा का कहना है कि गिफ्ट लेने के कोई सबूत ही नहीं मिले। इसके बावजूद एथिक्स कमेटी ने इस मामले की गहराई तक पहुंचे बिना मेरे खिलाफ रिपोर्ट बनाई और कंगारू कोर्ट ने बिना सबूत के मुझे सजा दी। यह संसदीय समिति का हथियारीकरण होना है. एथिक्स कमेटी को नैतिक दिशा-निर्देशक बनाया गया था, उसका इस्तेमाल वह करने के लिए किया जा रहा, जो उसे कभी नहीं करना था। इससे पहले लोकसभा में रिपोर्ट पेश होने के बाद उन्होंने अपनी त्वरित प्रतिक्रिया में कहा था कि मां दुर्गा आ गई हैं, अब देखिए क्या होता है। एथिक्स कमेटी ने 'वस्त्रहरण' इस मामले की शुरुआत की अब आप 'महाभारत का रण' देखेंगे.

क्या है कैश फॉर क्वेरी केस? दरअसल, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर को 15 अक्टूबर 2023 को एक चिट्ठी लिखी थी. अपने पत्र में उन्होंने आरोप लगाया था कि टीएमसी सासंद महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में 61 सवाल पूछे हैं. इनमें से 50 सवाल अडानी ग्रूप पर केंद्रित थे. टीएमसी सांसद ने पीएम मोदी की बेदाग छवि को धूमिल करने और उन्हें परेशान करने के लिए गौतम अडानी पर निशाना लंबे अरसे से साध रही हैं. ऐसा करने के बदले उन्होंने कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे लिए. हीरानंदानी ने एक लिखित हलफनामें में प्रश्न पूछने के बदले पैसे लेने की बात को स्वीकार किया, जिसको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. 

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