Delhi News: प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में अपना फैसला सुनाते हुए दोषी के समय से पहले रिहाई की याचिका को खारिज करने का फैसला रद्द कर दिया. दिल्ली हाईकोर्ट ने सजा समीक्षा बोर्ड को दोषी की अपील पर फिर से विचार करने के लिए कहा है. दोषी संतोष कुमार सिंह साल 1996 में लॉ की स्टूडेंट प्रियदर्शिनी मट्टू से रेप और हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है. दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस संजीव नरूला ने 14 मई को संतोष कुमार सिंह की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था.
दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस संजीव नरूला ने अपने फैसले में कहा कि दोषी संतोष सिंह में सुधार की भावना है. और उन्होंने दोषी के समय पूर्व रिहाई की याचिका पर नए सिरे से विचार करने के लिए मामले को सजा समीक्षा बोर्ड के पास वापस भेज दिया है .
अपने फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा की हमें उसमें सुधार की भावना मिली है, एसआरबी के फैसले को खारिज किया जाता है. और इस आधार पर मामले को नए सिरे से विचार करने के लिए एसआरबी के पास वापस भेज दिया है. कोर्ट ने कैदियों की याचिकाओं पर विचार करते समय एसआरबी द्वारा पालन किए जाने वाले कुछ दिशा-निर्देश भी तैयार किए हैं. कोर्ट ने कहा कि एसआरबी को दोषियों की याचिकाओं पर विचार करते समय उनका मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन करना चाहिए जो इस मामले में नहीं किया गया.
कोर्ट में दोषी के वकील ने दी थी दलील दिल्ली हाई कोर्ट में दोषी संतोष सिंह के तरफ से पेश वकील मोहित माथुर ने दलील देते हुए कहा था कि उनके क्लाइंट का व्यवहार संतोषजनक रहा है जो उनके सुधार का संकेत देता है. और भविष्य में अपराध करने की उनकी संभावना पूरी तरह समाप्त हो चुकी है. दिल्ली हाई कोर्ट में दलील देते हुए उन्होंने यह भी कहा की संतोष सिंह कई सालों से ओपन जेल में है और समाज के लिए एक उपयोगी व्यक्ति बन सकते हैं.
क्या है प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड मामला ? 25 साल की प्रियदर्शिनी मट्टू का जनवरी 1996 में रेप और हत्या कर दी गई थी. दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले लॉ स्टूडेंट संतोष कुमार सिंह को इस मामले में आरोपी माना गया था. लेकिन ट्रायल कोर्ट ने 3 दिसंबर 1999 को संतोष कुमार सिंह को बरी कर दिया. लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने 27 अक्टूबर 2006 को इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए संतोष कुमार सिंह को प्रियदर्शनी मुट्टू की हत्या का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुना दी. दोषी संतोष कुमार सिंह जो एक पूर्व आईपीएस अधिकारी का बेटा है . दोषी संतोष कुमार सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2010 में दोषी संतोष कुमार सिंह की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दी.