दिल्ली की मशहूर लव कुश रामलीला में मॉडल पूनम पांडे को मंदोदरी का किरदार सौंपने का फैसला विवादों में घिरता जा रहा है. हालांकि इसे लेकर बीजेपी में दो मत दिखाई दे रहे हैं. जहां बीजेपी विधायक रवि नेगी ने पूनम पांडेय का समर्थन किया तो वहीं अब बीजेपी नेता और लव कुश रामलीला कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रवीण शंकर कपूर ने पूनम के मंदोदरी का किरदार निभाने का विरोध किया है.
दिल्ली बीजेपी ने आयोजकों से ये कहते हुए फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की है कि इससे लाखों हिंदू भक्तों की भावनाएं आहत हुई हैं. दिल्ली बीजेपी के मीडिया प्रभारी और लव कुश रामलीला कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रवीण शंकर कपूर ने इस मुद्दे पर कमेटी के अध्यक्ष अर्जुन कुमार और सचिव सुभाष गोयल को पत्र लिखकर कड़ा विरोध दर्ज किया.
पूनम पांडे का नाम हमेशा विवादों से जुड़ा रहा- प्रवीण शंकर कपूर
कपूर ने अपने पत्र में कहा, "पूनम पांडे का नाम हमेशा विवादों से जुड़ा रहा है. उनकी सोशल मीडिया मौजूदगी और सार्वजनिक छवि ऐसी नहीं है जो रामलीला जैसे धार्मिक आयोजन के अनुरूप हो.'' उन्होंने आगे लिखा, ''वह अक्सर सनसनीखेज और आपत्तिजनक हरकतों के लिए चर्चा में रहती हैं. ऐसे में उन्हें मंदोदरी का किरदार देना न केवल गलत है, बल्कि यह रामलीला की गरिमा को भी ठेस पहुंचाता है."
फैसले को वापस लेने की अपील
प्रवीण शंकर कपूर ने आगे कहा, "लव कुश रामलीला दिल्ली की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का हिस्सा है. इस तरह का फैसला न तो परंपरा के अनुकूल है और न ही जनभावनाओं के साथ न्याय करता है." कपूर ने आयोजकों से अपील की है कि वे इस फैसले को वापस लें और रामलीला की पवित्रता को बनाए रखें.
रामलीला में पूनम पांडे को जगह देना आस्था से खिलवाड़-VHP
उधर, विश्व हिंदू परिषद (VHP) की दिल्ली शाखा ने भी इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है. VHP ने अपने बयान में कहा, "रामलीला जैसे पवित्र मंच पर पूनम पांडे को जगह देना हिंदू धर्म के प्रति असंवेदनशीलता है. यह लाखों भक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़ है." संगठन ने आयोजकों से मांग की है कि वे इस निर्णय को तत्काल रद्द करें, वरना इसका विरोध और तेज हो सकता है.
विवाद से आयोजकों के लिए खड़ी हो सकती हैं मुश्किलें
लव कुश रामलीला कमेटी की ओर से अभी तक इस विवाद पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि कमेटी इस मुद्दे पर विचार कर रही है और जल्द ही कोई बयान जारी कर सकती है. दिल्ली में नवरात्रि के दौरान होने वाली रामलीला का आयोजन हर साल लाखों लोगों को अपनी ओर खींचता है. यह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, इसलिए इस तरह का विवाद आयोजकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है.