Kanwar Yatra 2024: यूपी और उत्तराखंड सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) मार्ग पर मौजूद दुकानों को नेम प्लेट (Name Plate) लगाए जाने के दिए गए फरमान पर विपक्ष बीजेपी पर हमलावर है. राज्यसभा में इसको लेकर आप सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) समेत विपक्ष के सात नेताओं ने नोटिस दिया. 

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संजय सिंह ने कहा, ''आज संसद में नियम 267 के तहत यू पी में कांवड़ यात्रा के रास्ते में नेम प्लेट लगाने के गैरसंवैधानिक आदेश के ख़िलाफ़ नोटिस दिया. ख़ुशी की सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के हक़ में फ़ैसला दिया. देश मोहब्बत की बुनियाद पर आगे बढ़ेगा नफ़रत के लिए भारत में कोई जगह नहीं.''

इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''यह असंवैधानिक आदेश था. भारतीय लोकतंत्र के पक्ष में यह सुप्रीम कोर्ट का अच्छा निर्णय है. जाति और धर्म के नाम पर भेद नहीं कर सकते. आप ऐसे फरमान जारी कर रहे हैं जो कभी हिटकर के जमाने में था. नाजीशाही का शासन आप हिंदुस्तान में लागू करना चाहते हैं...इस आदेश का उद्देश्य दलितों, ओबीसी, एससी-एसटी और अल्पसंख्यकों के बीच सामाजिक विभाजन पैदा करना था."

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राज्यसभा में संतोष कुमार पी, साकेत गोखले, सागरिका घोष, हरीष किरन, संजय सिंह, प्रमोद तिवारी ने नोटिस दिया है जिसकी जानकारी खुद कार्यवाही के दौरान राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने दी.

सुप्रीम  कोर्ट ने फैसले पर लगाई रोकउधर, यूपी और उत्तराखंड सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रोक लगा दी. विपक्ष ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश की सरकारों को नोटिस जारी करते हुए जस्टिस ऋषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि यह प्रदर्शित करने की जरूरत हो सकती है कि वे किस प्रकार का भोजन परोस रहे हैं जैसे कि मांसाहारी या शाकाहारी. 

सरकार का आदेश भेदभाव बढ़ाने वाला - विपक्षबीजेपी शासित राज्यों की सरकारों के फैसले पर विपक्ष ने कहा कि यह धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देने वाला एक कदम है. उधर, सीनियर वकील चंद्र उदय सिंह ने कोर्ट में कहा कि भले ही राज्य प्रशासन यह दावा कर रहा है कि आदेश का स्वेच्छा से पालन करने कहा जा रहा है लेकिन वास्तव में बलपूर्वक पालन कराया जा रहा है. वहीं, बीजेपी का कहना है कि नेम प्लेट लगवाने से जुड़ा कदम कानून-व्यवस्था को बरकरार रखने और तीर्थयात्रियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है. 

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