दिल्ली के मुस्तफाबाद के दयालपुर स्थित मुजफ्फराबाद इलाके में एक चार मंजिला इमारत गिरने से हुए दर्दनाक हादसे के बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस पूरे मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं. यह हादसा 19 अप्रैल, 2025 की सुबह हुआ था, जब अधिकतर लोग सो रहे थे. इस घटना में 11 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि कई अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है.
मलबा हटाने का काम अभी भी जारी
इस घटना के बाद प्रशासनिक मदद तुरंत हरकत में आई और राहत-बचाव का काम शुरू किया गया था. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और दिल्ली अग्निशमन सेवा (DFS) की टीमें मौके पर पहुंचीं और मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालने का अभियान शुरू किया गया. अभी भी मलबा हटाने का काम जारी है और यह संभावना जताई जा रही है कि कुछ लोग अब भी मलबे के नीचे फंसे हो सकते हैं.
15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश
उपराज्यपाल ने इस गंभीर हादसे को देखते हुए उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट को इसकी विस्तृत जांच का जिम्मा सौंपा है. उन्हें 15 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है. जांच का उद्देश्य यह है कि घटना के पीछे की असली वजह का पता चले और यदि किसी स्तर पर लापरवाही हुई है तो उसकी पहचान की जा सके.
अवैध रूप से बनी थी इमारत?
प्रारंभिक जानकारी में यह सामने आया है कि जिस इमारत में यह हादसा हुआ, वह अवैध रूप से बनाई गई थी. निर्माण कार्य बिना जरूरी इजाज़त और इंजीनियरिंग मानकों के किया गया था, जिससे इसकी मजबूती पर सवाल उठते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए उपराज्यपाल ने नगर निगम (MCD) को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि क्षेत्रीय स्तर पर तैनात उन अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, जिन्होंने अपनी जिम्मेदारी ठीक तरह से नहीं निभाई और इस लापरवाही के कारण इतना बड़ा हादसा हुआ.
क्या नियमों का उल्लंघन हुआ?
जांच में यह भी देखा जाएगा कि इमारत के निर्माण में किन लोगों और एजेंसियों की भूमिका थी और क्या उन्होंने जानबूझकर नियमों का उल्लंघन किया. इस घटना ने शहर में अवैध निर्माण को लेकर एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है.
उपराज्यपाल ने यह भी कहा है कि दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा और जो भी इस घटना के लिए जिम्मेदार पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इस जांच का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों और आम नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा बनी रहे.