Delhi News: दिल्ली नगर निगम के मेयर महेश कुमार ने सोमवार को निगमायुक्त के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर यूजर चार्ज फैसले को लेकर कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा कि यह दिल्ली की जनता के हित में नहीं है. मेट5 के मुताबिक निगमायुक्त को यह फैसला वापस लेना चाहिए और निगमायुक्त द्वारा यूजर चार्जे को प्रॉपर्टी टैक्स के साथ जोड़ दिया गया है, यह बिल्कुल गलत है. इससे दिल्ली की जनता पर टैक्स का और बोझ बढ़ेगा. अगर यूजर चार्ज को प्रॉपर्टी टैक्स से जोड़ना था तो पहले सदन में इसका प्रस्ताव लाकर अनुमति लेनी चाहिए थी.
मेयर महेश कुमार ने सोमवार को कहा है कि दिल्ली नगर निगम के आयुक्त द्वारा जनता से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए यूजर चार्ज को संपत्ति कर के साथ जोड़ दिया गया है, जो नहीं होना चाहिए. यह यूजर चार्ज दिल्ली की जनता के हित में नहीं है. दिल्ली की जनता पर पहले से ही टैक्स का बोझ है. दिल्ली नगर निगम जनता से हाउस टैक्स इकट्ठा नहीं कर पा रही है.
उन्होंने कहा कि अब जनता के ऊपर यह यूजर चार्ज लगाया जा रहा है, जो सरासर गलत है. 2016 से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर यूजर चार्ज प्रॉपर्टी के साथ जोड़ने का प्रस्ताव आता रहा है. तब आम आदमी पार्टी विपक्ष में थी और तभी से आम आदमी पार्टी इसका विरोध करती आई है.
सदन में प्रस्ताव लाए बिना लिया गया फैसला- महेश कुमार
महेश कुमार ने कहा कि एमसीडी के कंसेशनर्स ने घर-घर से कूड़ा उठाने के लिए कहा था, मगर अभी भी घर-घर से कूड़ा उठाने की सुविधा लोगों को नहीं मिल पा रही है. इसलिए दिल्ली वासियों को प्राइवेट लोगों से कूड़ा उठवाना पड़ता है और उसके लिए अलग से चार्ज देना पड़ता है. इसलिए यूजर चार्ज को हाउस टैक्स के साथ जोड़ देने से जनता पर और बोझ पड़ेगा. यह गलत है. अगर इस यूजर चार्ज को प्रॉपर्टी टैक्स के साथ लागू करना था, तो पहले इसका प्रस्ताव सदन में लाना चाहिए था और हाउस की अनुमति लेनी चाहिए थी, तब जाकर इसे पास करना चाहिए था. हम शुरू से ही जनता के हित के लिए कार्य करते आए हैं.
प्राइवेट स्कूल में फीस बढ़ोतरी पर खड़े किए सवाल- मेयर
दिल्ली के मेयर का कहना है कि लोग पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे हैं, एक तरफ बच्चों की पढ़ाई में महंगी हो रही हैं, जिसपर कोई लगाम नहीं है. उनका कहना है कि जब से दिल्ली में सरकार बदली है, प्राइवेट स्कूलों ने बेतहाशा फीस बढ़ा दी है. हर जगह महंगाई का बोल-बाला हो रहा है. यदि यूजर चार्ज के नाम पर भी जनता को ठगा जाएगा, तो यह अन्याय होगा. पहले नगर निगम को अपने संसाधन दुरुस्त करने चाहिए और डोर-टू-डोर कूड़ा उठाना शुरू करना चाहिए. जब यह इंतजाम हो जाए, तब यूजर चार्ज बारे में सोचा जाए. मेयर ने निगम आयुक्त को लिखकर इसे तुरंत निरस्त करने की मांग की है.
मुकेश गोयल ने क्या कहा?
वहीं नेता सदन मुकेश गोयल ने जनकारी देते हुए बताया कि डेंस विभाग ने हाउस टैक्स विभाग के साथ लिंक अप किया है और यूजर चार्ज की पेमेंट को हाउस टैक्स के बिल में जोड़ी जा रही है. इससे दिल्ली के लोग बहुत परेशान हैं. 2016 में केंद्र सरकार ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का यह प्रोग्राम बनाया था, लेकिन 2025 तक पिछले 9 साल बाद भी ये इसे लागू नहीं कर पाए या अपने संसाधन नहीं जुटा पाए. इस प्रोग्राम के तहत घर-घर जाकर कूड़ा उठाया जाएगा. लेकिन, कंसेशनर द्वारा दिल्ली के 80-85 फीसद घरों से कूड़े का उठान नहीं हो पा रहा है. काफी लोग प्राइवेट कर्मचारी लगाकर कूड़ा उठवाते हैं और उन्हें 100-200 रुपये महीना देते हैं.
कूड़ा उठाना निगम की जिम्मेदारी- मुकेश गोयल
मुकेश गोयल ने कहा कि लोगों के घरों से कूड़ा उठाना दिल्ली नगर निगम की जिम्मेदारी है. मगर निगम अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पा रही है. इसके बावजूद दिल्ली की जनता पर टैक्स का दोहरा प्रहार कर रहे हैं. लोगों को कूड़ा उठाने के लिए निजी लोगों को भी पैसा देना पड़ रहा है और अब यूजर चार्ज के नाम पर भी पैसा लिया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि यदि कोई पॉलिसी बनती है, तो पहले उसका खाका तैयार किया जाता है. निगमायुक्त को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एमसीडी में लगाए गए कंसेशनर्स द्वारा घर-घर जाकर कूड़ा उठाया जाएगा. आवासीय और व्यवसायिक एरिया से कूड़ा उठाने की जिम्मेदारी निगम की है. पहले निगम को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. इसके बाद यूजर चार्ज को लागू करना चाहिए. निगम अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं पा रहा है, लेकिन दिल्ली की जनता पर टैक्स का बोझ डालना चाहता है.
गोयल ने कहा कि लोगों के घरों से कूड़ा उठाने वाले निजी लोगों से कंसेशनरों की कोई मीटिंग भी नहीं हुई है और न ही उनका आपस में कोई तालमेल बनाया गया. पहले तालमेल बनाएं. इसके बाद यूजर चार्ज लगाने की बात की जाए तो समझ में आता है. 2016 में यह प्रस्ताव आया, 2017-18 में इसका नोटिफिकेशन हुआ, मगर अभी तक इसे लागू नहीं किया गया और अब अचानक इसे लागू करना पड़ रहा है. इसके पीछे इन लोगों की कुछ न कुछ साजिश है. मेयर महेश कुमार ने निगमायुक्त को लिखे पत्र में भी कहा है कि मेरे कार्यकाल में अंतिम समय में यह प्रस्ताव लाना गलत है और इसे तुरंत निरस्त किया जाए.
'पहले भी उठा था मुद्दा'
नेता सदन मुकेश गोयल ने बताया कि 2018-19 में तीनों निगमों ने हाउस में प्रस्ताव पास किया था कि यह चार्ज रेजिडेंशियल से नहीं, केवल कमर्शियल से लिया जाएगा. मगर 2016 से 2022 तक बीजेपी की सरकार रही, फिर भी इसे लागू नहीं किया गया. वह जानबूझकर इसे लागू नहीं करना चाहते थे.
उन्होंने कहा कि आज वह इसके जरिए निगम की ‘आप’ सरकार और मेयर पर दबाव बनाना चाहते हैं. इनका निगम में कुछ समय का कार्यकाल बचा है, इसलिए वह चाहते हैं कि यूजर चार्ज के जरिए उन्हें कटघरे में खड़ा किया जाए. हम चाहते हैं कि यूजर चार्ज पर राजनीति न हो और जनता पर बोझ न पड़े. हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं. पहले डोर-टू-डोर कूड़ा उठाएं, फिर यूजर चार्ज लें. जगह-जगह कंशेसनरों ने कूड़े के ढेर लगा रखे हैं, गलियों से कूड़ा नहीं उठ रहा.