Cash-For-Query Case: तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले में लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया. इस पर आप के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने कहा कि जिस तरीके से महुआ मोइत्रा को निष्कासित किया है, पूरी जो प्रक्रिया है उस पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लगता है. जो भी व्यक्ति केंद्र सरकार के खिलाफ प्रखर होकर आवाज उठाता है, उनको किसी न किसी प्रकार से षड्यंत्र करके फंसा लेते हैं.


संदीप पाठक ने आगे कहा कि इसका ज्वलंत उदाहण संजय सिंह के केस में दिख जाएगा. महुआ मोइत्रा भी उसी प्रखर तरीके से लोकसभा में प्रधानमंत्री के खिलाफ और जो जनता से संबंधित मुद्दे हैं उनको लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाती थीं. जिस भी दिन से ये मुद्दा शुरू हुआ, उस दिन से किसी के मन में ये संदेह नहीं था कि इसका अंत में परिणाम क्या आने वाला है. सबको ये पता था कि अंत में इनको (महुआ मोइत्रा) निष्कासित करेंगे. 


आप सांसद ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी इस देश की व्यवस्था को खत्म करने पर लगी हुई है. जो व्यवस्थाएं हैं जिस पर प्रजातंत्र चलती है, उसे वो धीरे-धीरे करके खत्म करते जा रहे हैं. महुआ मोइत्रा कोई साधारण नहीं थीं, लाखों लोगों ने उन्हें वोट देकर संसद में भेजा था. जो भी हुआ वो सही नहीं हुआ."



महुआ मोइत्रा ने क्या कहा?


महुआ मोइत्रा ने अपने निष्कासन की तुलना ‘कंगारू अदालत’ द्वारा फांसी की सजा दिए जाने से करते हुए आरोप लगाया कि सरकार लोकसभा की आचार समिति को विपक्ष को झुकने के लिए मजबूर करने का हथियार बना रही है. उन्होंने कहा कि उन्हें उस आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया है, जो अस्तित्व में ही नहीं है और उन्हें नकदी या उपहार दिए जाने का कोई सबूत नहीं है. महुआ मोइत्रा ने कहा, ‘‘आचार समिति मुझे उस बात के लिए दंडित कर रही है, जो लोकसभा में सामान्य है, स्वीकृत है और जिसे प्रोत्साहित किया गया है.’’ 


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