Delhi News: लोकसभा चुनाव को लेकर दिल्ली में सरगर्मियां बढ़ गई हैं. बुधवार को कांग्रेस आलाकमान ने राष्ट्रीय राजधानी में बड़ी बैठक करते हुए सभी नेताओं को दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर तैयारी करने के निर्देश दिए हैं. बैठक के बाद अल्का लांबा ने इसका खुलासा किया है. ऐसे में चर्चा है कि आम आदमी पार्टी (AAP) भी दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने का मन बना सकती है. दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) ने इसी मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.


'गठबंधन पर नहीं पड़ेगा कोई फर्क'


सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'इस तरह की बातें तो आती रहेंगी. जब INDIA के सभी दल एक साथ बैठेंगे, सीट शेयरिंग पर चर्चा करेंगे, सभी पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व आमने-सामने बैठकर चर्चा करेंगे, तब पता चलेगा कौन सी पार्टी को कौन सी सीटें मिलती हैं. कांग्रेस के इस फैसले का INDIA गठबंधन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. बयान देने वाले बहुत छोटे-छोटे नेता हैं, जिनकी जमानतें MLA इलेक्शन तक में नहीं बची हैं. उनकी क्या वेल्यू है. अनील चौधरी और अल्का लांबा ने बयान दिया है, दोनों की ही जमानत कहां बची. दोनों की मिला लो तो भी नहीं जीतेंगे.'



क्या अकेले चुनाव लड़ेगी AAP?


इस दौरान जब सौरभ भारद्वाज से पूछा गया कि क्या आम आदमी पार्टी (AAP) भी दिल्ली में लोकसभा की सातों सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है? तो सौरभ ने कहा कि ये फैसला पार्टी के केंद्र नेतृत्व लेगा. वहीं जब सौरभ से पूछा गया कि क्या वे मानते हैं कि दिल्ली में आप-कांग्रेस का गठबंधन होना चाहिए? तो सौरभ ने कहा कि ये सभी PAC के लेवल की चीजे हैं. हमारी पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी है, वो इस पर चर्चा करेगी, निर्णय करेगी. फिर INDIA के तो घटक दल हैं वो आमने-सामने बैठेंगे तब उसपर आगे जो बात बनेगी.


कांग्रेस आलाकमान ने बनाया सस्पेंस


कांग्रेस नेताओं की बैठक के बाद अल्का लांबा ने बताया कि हमें दिल्ली की सभी सीटों पर तैयारी रखने के लिए कहा गया है. संगठन में सभी को इसकी जिम्मेदारी भी दी जाएगी. हालांकि दिल्ली में हम लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे या नहीं, इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. न ही ये तय किया गया है कि हम कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.' इसका मतलब साफ है कि कांग्रेस ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं. दिल्ली अध्यादेश के खिलाफ आप के समर्थन करने के वक्त भी कांग्रेस की तरफ से ऐसा ही सस्पेंस रखा गया था, लेकिन बाद में आप को समर्थन मिल गया था. अब देखना ये होगा कि क्या कांग्रेस इस बार भी आखिर में AAP के साथ चुनाव लड़ने पर सहमति जताती है या अकेले नेताओं को मैदान में उतारा जाएगा?


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