दिल्ली के साकेत कोर्ट ने साल 2021 में किशनगढ़ में हुई दिनदहाड़े फायरिंग के मामले में 4 आरोपियों को बरी कर दिया. एडिशनल सेशन जज किरण गुप्ता ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष के से लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए कोई भी सबूत, जैसे कॉल रिकॉर्ड, लोकेशन डिटेल या फिर बरामदगी, पेश नहीं की गई.
कोर्ट ने कहा कि केवल सह-आरोपियों के खुलासे पर भरोसा करने से इनकार कर दिया. इस मामले में 8 लोगों को आपराधिक साजिश, हत्या के प्रयास और अन्य धाराओं में गिरफ्तार किया गया था. इसमें मुख्य आरोपी हरेंद्र मान और विमलेश मान भी शामिल थे. पुलिस के मुताबिक घटना पुरानी रंजिश का नतीजा थी.
धामी ने हरेंद्र मान पर पुरानी दुश्मनी का आरोप लगाया
साकेत कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान प्रत्यक्षदर्शी सोम राज उर्फ धामी ने कोर्ट को बताया कि उसकी दुश्मनी हरेंद्र मान और उसके परिवार से थी, क्योंकि फरवरी 2020 में हरेंद्र मान के चाचा अशोक की हत्या के मामले में धामी और उसके भाइयों देवेंद्र और धर्मवीर को फंसाया गया था.
धामी का आरोप था कि किशनगढ़ गोलीकांड किसी रंजिश का नतीजा था. हालांकि अदालत ने माना कि जांच अधिकारी ने पहले यह कहा हो कि हरेंद्र मान की व्हाट्सएप कॉल पर सह-आरोपियों से बातचीत हुई थी, लेकिन इस दावे को साबित करने के लिए कोई कॉल डिटेल या लोकेशन चार्ट रिकॉर्ड में पेश नहीं किया गया.
हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट में 4 पर केस जारी
साकेत कोर्ट में हरेंद्र मान की ओर से पेश वकील ने दलील देते हुए कहा कि अभियोजन का पूरा मामला महज अटकलों और प्रतिशोध पर आधारित है. उन्होंने कहा कि जांच के दौरान किसी भी आरोपी से कोई मोबाइल फोन, सिम कार्ड या इलेक्ट्रॉनिक सबूत बरामद नहीं हुआ.
कोर्ट ने चार आरोपियों को बरी कर दिया, जबकि बाकी चार के खिलाफ हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमे की सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया.