Joshimath: जोशीमठ में आई दरारों के खिलाफ आवाज बुलंद करने दिल्ली पहुंचे पीड़ित, जंतर-मंतर पर दिखाई ताकत
Joshimath Victims Protest: जोशीमठ में आई दरारों के खिलाफ आवाज बुलंद करने दिल्ली पहुंचे पीड़ित, जंतर-मंतर पर दिखाई ताकत धरने पर बैठे लोगों ने कहा कि वे अपनी जन्मभूमि को समृद्ध और अपनी भावी पीढ़ी को सुरक्षित और बेहतर स्थिति में देखना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने इस आंदोलन की शुरुआत की है.

Joshimath News Update: उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath) में प्रकृति के साथ छेड़छाड़ और अनियोजित विकास की वजह से आई आपदा ने हजारों लोगों के सिर से छत छीन लिया है. इस त्रासदी की वजह से बे वर्षों पुराने अपने आशियाने को छोड़ कर लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा. जोशीमठ की आपदा से सहमे उत्तराखंड वासियों ने उत्तराखंड को बचाने की मुहिम शुरू कर दी है. इसी के तहत चलाये गए 'उत्तराखंड बचाओ' आंदोलन के लिए भारी संख्या में उत्तराखंड समाज के लोग दिल्ली के जंतर-मंतर (Jantar Mantar) पर रविवार को धरना देने पहुंचे.
'न हो प्रकृति के साथ छेड़छाड़'
धरने पर बैठे लोगों ने कहा कि वे अपनी जन्मभूमि को समृद्ध और अपनी भावी पीढ़ी को सुरक्षित और बेहतर स्थिति में देखना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने इस आंदोलन की शुरुआत की है, ताकि फिर से इस तरह से प्रकृति के साथ छेड़छाड़ न हो और न ही इसका खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़े.
आंदोलनकारियों ने सरकार से की सुरक्षा की मांग
धरने पर बैठे लोगों का कहना है कि वो अपनी जन्मभूमि से बहुत प्रेम करते हैं. पिछले दिनों आई आपदा से वे बुरी तरह आहत हैं. इसलिए वे इस आंदोलन के माध्यम से सरकार के सामने कुछ मांगों को रखना चाह रहे हैं, ताकि उनके हित की रक्षा हो सके. इन लोगों ने सरकार से मांग की है कि उत्तराखंड भ्रष्टाचार और माफिया मुक्त हो, स्वरोजगार और आजीविका विकास के लिए स्थानीय संसाधन आधारित पर्याप्त अवसर हो, लोगों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पानी की उचित उपलब्धता मिले और पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की राजधानी पहाड़ी इलाकों में ही हो.
उत्तराखंड वासियों के हित को ध्यान में रख कर बनाई जाए नीतियां
इन लोगों ने आगे बताया कि उत्तराखंड की भूमि क्रय-विक्रय नीति, वन संपदा नीति, कृषि नीति भी उत्तराखंड के मूल निवासियों के हित के अनुसार होनी चाहिए, जिनमें विशेष रूप से महिलाओं और सामाजिक आर्थिक रूप से शोषित लोगों पर ध्यान देने की जरूरत है. इस तरह से विकास की मुख्यधारा में उनकी सहभागिता सुनिश्चित हो सकेगी.
नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण की मांग
इसके अलावा उन्होंने सरकारी और गैर सरकारी नौकरी में पहाड़ी लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण की मांग की, ताकि 'पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी', पहाड़ के विकास के काम आ सके.
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Source: IOCL





















