जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ चुनाव 2025-26 को लेकर राजनीतिक माहौल तेज हो गया है. लेफ्ट यूनिटी गठबंधन (AISA–SFI–DSF) ने अपना उम्मीदवार पैनल जारी करते हुए प्रशासन और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) दोनों पर तीखे हमले किए हैं. लेफ्ट यूनिटी की ओर से छात्रसंघ की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा गया कि अध्यक्ष नितीश कुमार, उपाध्यक्ष मनीषा और महासचिव मुंतेहा फातिमा के नेतृत्व में पिछले कार्यकाल में छात्रों के अधिकारों की लड़ाई मजबूती से लड़ी गई. संगठन ने दावा किया कि एबीवीपी प्रतिनिधि संयुक्त सचिव के रूप में रहते हुए भी सभी संघर्षों से अनुपस्थित रहे.

Continues below advertisement

लेफ्ट यूनिटी के क्या है मुख्य मुद्दे 

लेफ्ट यूनिटी ने अपने बयान में चार प्रमुख मुद्दों को गिनाया जिन पर उन्होंने छात्रों के हित में आंदोलन किया. इनमें सबसे अहम था पीएचडी छात्रों का हॉस्टल नोटिस, जिसे 16 दिन की भूख हड़ताल के बाद वापस कराया गया. इसके अलावा मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति (MCM) में कटौती के प्रस्ताव को भी छात्र एकता के बल पर रद्द करवाया गया.

सितंबर में हॉस्टल फीस वृद्धि के प्रस्ताव को भी लेफ्ट यूनिटी ने समय रहते रोक दिया. वहीं, पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में यूजीसी नेट 2025 के उम्मीदवारों को बाहर करने के फैसले के खिलाफ विरोध करते हुए लेफ्ट यूनिटी ने पारदर्शी प्रवेश प्रणाली की बहाली की मांग पूरी करवाई.

Continues below advertisement

लेफ्ट यूनिटी का एबीवीपी पर हमला

एबीवीपी पर हिंसक राजनीति करने का आरोप लगाया गया और उसे तंज करते हुए 'अखिल भारतीय वायलेंस परिषद' कहा गया. संगठन ने कहा कि एबीवीपी के उम्मीदवार बार-बार कैंपस में हुई हिंसक घटनाओं और फीस हाइक आंदोलनों में शामिल पाए गए हैं.

लेफ्ट यूनिटी पैनल के ये हैं उम्मीदवार

लेफ्ट यूनिटी पैनल के अध्यक्ष पद के लिए अदिति मिश्रा (PhD, CCPT, SIS), उपाध्यक्ष पद के लिए के. पिका बाबू (PhD, CSLG, SSS), महासचिव पद के लिए सुनील यादव (PhD, CSA, SIS) और संयुक्त सचिव पद के लिए दानिश अली (PhD, CHS, SSS) को उम्मीदवार बनाया गया है.

लेफ्ट यूनिटी ने कहा कि उनका गठबंधन जेएनयू की असहमति, बहस और लोकतंत्र की परंपरा को आगे बढ़ा रहा है. उन्होंने कहा कि वे निजीकरण, भगवाकरण और कैंपस में फैल रही नफरत की राजनीति के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.