जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में 2 अक्टूबर शाम दुर्गा पूजा प्रतिमा विसर्जन के दौरान उस समय अफरा-तफरी मच गई जब कथित तौर पर वामपंथी छात्र संगठनों ने शोभायात्रा पर हमला कर दिया. आरोप है कि AISA, SFI और DSF के कार्यकर्ताओं ने साबरमती टी-पॉइंट पर विसर्जन में शामिल छात्रों पर जूते-चप्पल दिखाए, पत्थरबाजी की और अभद्र नारेबाजी की. इस घटना में कई विद्यार्थी घायल हो गए हैं.
सांस्कृतिक सौहार्द पर सोचा-समझा प्रहार
इस पर प्रतिक्तिया देते हुए ABVP ने कहा, बीते दस दिनों तक जेएनयू परिसर में शांतिपूर्ण और भव्य रूप से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना हुई. विश्वविद्यालय के भीतर 5 हजार से अधिक छात्रों ने आयोजन में हिस्सा लिया और नवमी पर हजारों ने प्रसाद ग्रहण किया. यह आयोजन छात्रों की आस्था और परिसर की सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक माना जा रहा था. लेकिन शोभायात्रा के दौरान हुई हिंसा ने इस परंपरा को झकझोर दिया. ABVP का कहना है कि यह हमला केवल एक जुलूस पर नहीं बल्कि विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक पहचान और भारतीय परंपराओं पर सीधा आघात है.
उत्सवधर्मी परंपरा को किया कलंकित- ABVP
ABVP JNU इकाई के अध्यक्ष मयंक पंचाल ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा, JNU हमेशा से विविधता और उत्सवधर्मिता से समृद्ध रहा है. 10 दिनों तक विद्यार्थियों ने मां दुर्गा की भक्ति की और विश्वविद्यालय का सांस्कृतिक सौंदर्य निखरा. लेकिन वामपंथी संगठनों ने इस पवित्र आयोजन को हिंसा और घृणा से कलंकित किया. यह केवल एक धार्मिक आयोजन पर हमला नहीं, बल्कि छात्रों की आस्था और परंपरा पर सीधा प्रहार है. ABVP किसी भी कीमत पर ऐसी सांस्कृतिक आक्रामकता को बर्दाश्त नहीं करेगी.
वहीं, ABVP के मंत्री प्रवीन पीयूष ने कहा कि दुर्गा विसर्जन जैसी पावन परंपरा में बाधा डालना वामपंथियों की नकारात्मक सोच को उजागर करता है. उन्होंने कहा, इस घटना से यह साफ हो गया है कि ये संगठन न छात्रों की आस्था का सम्मान करते हैं और न ही परिसर की शांति का. छात्राओं तक पर पत्थरबाज़ी करना निंदनीय और शर्मनाक है. उन्होंने मांग की कि, हिंसक गतिविधियों में शामिल सभी छात्रों की पहचान कर कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी संगठन सांस्कृतिक अधिकारों को कुचलने का दुस्साहस न कर सके.
भारतीय संस्कृति से गहरी नफरत- JNU संयुक्त सचिव
जेएनयू छात्रसंघ (JNUSU) के संयुक्त सचिव वैभव मीणा ने भी घटना की आलोचना करते हुए कहा, वामपंथी गुंडों ने जिस तरह से शोभायात्रा में हिंसा की और छात्राओं पर पत्थरबाज़ी की, वह साबित करता है कि उन्हें भारतीय संस्कृति और हिंदू परंपराओं से गहरी नफरत है. यह हमला न सिर्फ छात्रों पर बल्कि विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक सौहार्द और भाईचारे पर सीधा प्रहार है. प्रशासन को तुरंत और कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि परिसर में शांति और सांस्कृतिक वातावरण बहाल हो सके.
इस मामले पर क्या है लेफ्ट का पक्ष?
वहीं लेफ्ट संगठन की ओर से वामपंथी छात्रों ने एक तस्वीर जारी की है, जिससे यह दावा किया जा रहा है कि पहले चप्पल ABVP द्वारा दिखाई गई थी और इस तरह उकसाने की कोशिश की गई थी. लेफ्ट संगठन का कहना है कि विरोध और विसर्जन को लेकर नहीं, बल्कि ABVP द्वारा जेएनयू के छात्रों उमर खालिद और शरजील इमाम को रावण बनाकर पुतला जलाने को लेकर विवाद हुआ था। यह बात जेएनयू छात्रसंघ के पोस्टर और बयान में स्पष्ट रूप से दिखाई गई थी.
ABVP इस पूरे मामले को धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहा है, ताकि सनसनी और धार्मिक ध्रुवीकरण किया जा सके. वास्तविकता यह है कि दुर्गा पूजा शांति से शुरू और समाप्त हुई, और किसी भी तरह का अवरोध जेएनयू छात्रसंघ या किसी अन्य प्रगतिशील छात्र संगठन की तरफ से नहीं किया गया.
अफजल गुरु, उमर खालिद, शरजील इमाम, चारू मजूमदार, कणु सान्याल और बसवराजू की तस्वीर रावण के 10 फीट लंबे पुतले पर लगाई गई थी. इस पुतले को लेकर पोस्टर पहले ही जारी किया गया था.