जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में चल रहे छात्रसंघ चुनावों के बीच अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने आज अपने उम्मीदवारों के माध्यम से विश्वविद्यालय की पारंपरिक वैचारिक राजनीति से हटकर छात्रों के वास्तविक मुद्दों पर केंद्रित एजेंडा प्रस्तुत किया है. अभाविप ने कहा कि अब समय आ गया है जब जेएनयू की राजनीति नकारात्मक विचारधारा से निकलकर पारदर्शिता, जवाबदेही और विकास की राह पर लौटे.
संयुक्त सचिव पद के उम्मीदवार अनुज ने कहा कि जेएनयू के छात्र प्रतिभाशाली हैं, लेकिन संसाधनों की कमी उनकी प्रगति में बाधक बनती है. उन्होंने कहा, “अभाविप चाहती है कि विश्वविद्यालय में स्पोर्ट्स कोटा लागू हो, खेल मैदानों और जिम की सुविधाओं का नवीनीकरण किया जाए और खेलों को जेएनयू की पहचान के रूप में पुनर्स्थापित किया जाए.” अनुज ने आगे बताया कि विज्ञान विभागों की प्रयोगशालाओं में सुधार, आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता और एआई आधारित शिक्षा प्रणाली की शुरुआत अभाविप के एजेंडे में प्रमुख रूप से शामिल हैं. उन्होंने कहा कि संगठन का लक्ष्य है कि जेएनयू “विचारधारा नहीं, नवाचार का केंद्र बने.”
पारदर्शिता और जवाबदेही पर फोकस
सचिव पद के उम्मीदवार राजेश्वर कांत दुबे ने विश्वविद्यालय प्रशासन की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “किसी भी लोकतांत्रिक परिसर में संवाद और जवाबदेही अनिवार्य हैं. अभाविप सुनिश्चित करेगी कि प्रशासनिक निर्णयों में छात्रों की भागीदारी हो और सीपीओ मैनुअल जैसे असंवेदनशील प्रावधानों की समीक्षा की जाए.” राजेश्वर ने आगे कहा कि विश्वविद्यालय में कई स्तरों पर पारदर्शिता की कमी रही है. उन्होंने कहा “हमारा उद्देश्य केवल विरोध करना नहीं, बल्कि समाधान प्रस्तुत करना है.”
डिजिटलीकरण, स्वास्थ्य और रोजगार पर काम करेगा अभाविप
अभाविप ने अपने घोषणापत्र में स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय के विकास के लिए अब ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो छात्र-हितों को प्राथमिकता दे. संगठन ने स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, पुस्तकालयों के डिजिटलीकरण, रोजगार उन्मुख कार्यक्रमों की शुरुआत और छात्रवृत्तियों में पारदर्शिता को अपने प्रमुख लक्ष्यों में शामिल किया है.
अभाविप का एजेंडा केवल घोषणाओं तक सीमित नहीं है. संगठन एक ऐसे जेएनयू की परिकल्पना कर रहा है जहां छात्र राजनीति का अर्थ विरोध नहीं, बल्कि निर्माण, नेतृत्व और जवाबदेही हो.
विचारधारा से आगे विकास की बात
जेएनयू के केंद्रीय चुनाव समन्वयक अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि हम वामपंथी विचारधारा की नकारात्मकता नहीं, बल्कि राष्ट्रवादी सोच और विकास की दिशा में संगठित प्रयास चाहते हैं. अभाविप वह संगठन है जो केवल आवाज़ नहीं उठाता, बल्कि ठोस परिणाम देने का साहस भी रखता है.