Delhi News: दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय (जेएमआईयू) ने साल 2019 में संविधान संशोधन के संदर्भ में दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने की अपील वाली जनहित याचिका का 22 मई को विरोध किया. जेएमआईयू ने अदालत से कहा कि अल्पसंख्यक संस्थान होने के कारण ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करना हमारे ने लिए अनिवार्य नहीं है.  न ही ऐसा करने के लिए संस्थान बाध्य है. 


दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका के जवाब में दायर हलफनामे में जेएमआई ने कहा कि जनवरी 2019 में भारत सरकार द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापन के अनुसार केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में ईडब्ल्यूएस आरक्षण अल्पसंख्यक संस्थानों के लिए लागू नहीं होता. जेएमआई ने कहा, ‘‘भारत सरकार ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग के माध्यम से केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में ईडब्ल्यूएस के आरक्षण के लिए एक कार्यालय ज्ञापन दिनांक 17 जनवरी 2019 को जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि इडब्ल्यूएस आरक्षण आठ उत्कृष्ट अनुसंधान संस्थानों और संविधान के अनुच्छेद 30 के खंड (1) में निर्दिष्ट अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों पर लागू नहीं होगा.’’


PIL का हो रहा गलत इस्तेमाल


जेएमआईयू के अधिवक्ता प्रीतीश सभरवाल के माध्यम से दायर जवाब में कहा गया है कि सरकार के उस कार्यालय ज्ञापन के तहत जामिया मिल्लिया इस्लामिया के संदर्भ में ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू नहीं होगा. जेएमआईयू ने अपने हलफनामे में कहा है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया को अल्पसंख्यक संस्थान घोषित करने के लिए फरवरी 2011 में एक आदेश जारी किया था. जामिया ने यह भी कहा कि जनहित याचिकाओं का निजी व्यक्तियों द्वारा गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. वर्तमान याचिका खारिज किए जाने योग्य है.


JMI को 10% आरक्षण लागे करने का आदेश दे


दूसरी तरफ कानून की छात्रा आकांक्षा गोस्वामी ने इस साल की शुरुआत में उच्च न्यायालय का रुख किया था. गोस्वामी ने अपनी याचिका में कहा था संविधान 103वां संशोधन अधिनियम 2019 के संदर्भ में अकादमिक वर्ष 2023-2024 से प्रवेश के समय ईडब्ल्यूएस श्रेणी के छात्रों के लिए सीट आरक्षित होनी चाहिए. यह संशोधन उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरियों में उनके लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करता है. आकांक्षा गोस्वामी की दलील है कि जेएमआईयू को ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने के लिए निर्देश दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है, जिसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से सहायता प्राप्त है. इस मामले में अब अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी.


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