नई दिल्ली: 'श्री सम्मेद शिखरजी' को पर्यटन स्थल घोषित करने के झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ दिल्ली के इंडिया गेट पर जैन समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया.पारसनाथ हिल को सम्मेद शिखर के नाम से भी जाना जाता है.ये दुनियाभर में जैनियों के बीच सबसे बड़ा तीर्थस्थल है.झारखंड सरकार की ओर से श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के बाद पूरे देश में जैन समुदाय के लोग विरोध कर रहे हैं.जैन समुदाय के लोग झारखंड में स्थित पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल घोषित करने के राज्य सरकार के फैसले का हर जगह विरोध कर रहे हैं.इसी क्रम में जैन समुदाय के लोगों ने दिल्ली के इंडिया गेट पर भी प्रदर्शन किया.जैन मुनियों ने झारखंड सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की.


किस चीज का विरोध कर रहा है जैन समाज


झारखंड की पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल के रूप में नोटिफाई किए जाने पर देश भर में जैन समुदाय के विरोध पर झारखंड सरकार ने साफ किया है कि इस स्थल की पवित्रता और महत्ता बरकरार रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.राज्य के पर्यटन, कला, संस्कृति और खेलकूद विभाग के सचिव मनोज कुमार ने कहा है कि जैन धर्मावलंबियों की भावना का ध्यान रखते हुए यहां मांस-शराब पहले से पूरी तरह प्रतिबंधित है.सरकार ने गिरिडीह जिले के उपायुक्त को निर्देश दिया है कि यह प्रतिबंध प्रभावी तरीके से लागू हो.


झारखंड सरकार का क्या कहना है


राज्य सरकार के मुताबिक,सम्मेद शिखर के रूप में विख्यात पारसनाथ को केंद्रीय वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अगस्त 2019 में ही इको सेंसेटिव जोन के रूप में अधिसूचित किया है.ऐसे क्षेत्र में वन एवं पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी नई संरचना का निर्माण नहीं हो सकता है.जहां तक इसे पर्यटन स्थल के रूप में नोटिफाई किए जाने की बात है,तो इसके पीछे का उद्देश्य जैन धर्मावलंबियों के लिए इस स्थान पर समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराना रहा है.


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