Delhi News: दिल्ली और जयपुर की दूरी 300 किलोमीटर है जिसे बस और ट्रेन से पूरी करने में चार से पांच घंटे लगते है. वहीं, अब यह दूरी सिकुड़ कर 30 मिनट हो सकती है. इसकी वजह यह है कि रेलवे मंत्रालय भारत के पहले हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक पर काम कर रहा है. आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर इस परियोजना पर काम किया जा रहा है जो कि 350 किलोमीटर का दायरा केवल 30 मिनट में पूरा कर देगा. ऐसे में चार से पांच घंटे की दूरी वाले स्थानों पर महज आधे घंटे में पहुंचा जा सकेगा.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस परियोजना की जानकारी देते हुए 'एक्स' पर लिखा, ''आईआईटी मद्रास में हाइपरलूप परियोजना. सरकार-अकादमिक सहयोग भविष्य के परिवहन के लिए नवोन्मेष कर रहा है." उन्होंने बताया कि भारत के सबसे पहले 422 मीटर पॉड को तकनीक के विकास में अभी काफी दूर जाना है. मुझे लगता है कि समय आ गया है कि एक-एक मिलियन के पहले दो अनुदान के बाद तीसरे वन मिलियन के अनुदान से आईआईटी मद्रास आगे हाइपर लूप परियोजना को बढ़ा सकेगा. रेलवे जल्द ही इस कमर्शल परियोजना को शुरू करने जा रहा है.
क्या है हाइपरलूप प्रोजेक्ट और ट्रैक?हाइपर लूप एक हाई-स्पीड परिवहन का साधन है. यह लंबी दूरी के लिए बनाया जाता है. इसके तहत ट्रेन काफी हाई स्पीड से चलती है. ट्रेन वैक्युम ट्यूब में स्पेशल कैप्सुल के सहारे दौड़ती है. इसे परिवहन का पांचवा साधन भी कहा जाता है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार की ओर से बयान जारी कर बताया गया है कि हाइपरलूप में एक वैक्यूम ट्यूब के भीतर इलेक्ट्रोमैगनेटिक पॉड होता है जिससे घर्षण और हवा का खिंचाव खत्म हो जाता है और जिस वजह से यह पॉड को 1.0 मैक तक क्षमता वाली गति में पहुंचने में मदद करता है. बयान में कहा गया है कि हाइपरलूप किसी भी मौसम में चल सकता है. इसमें टकराव की संभावना नहीं रहती. इसमें बिजली की कम खपत होती है और 24 घंटे के संचालन के दौरान बिजली की भी बचत होती है.
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