देश की राजधानी दिल्ली के बाजारों में सोने के भाव ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. गुरुवार (11 सितंबर) को 100 रुपये की बढ़ोतरी के साथ 10 ग्राम सोने का भाव 1 लाख 13 हजार 100 तक पहुंच गया. ये अभी तक का सर्वाधिक भाव है. अखिल भारतीय सर्राफा संघ (All India Sarafa Association) ने बताया कि इस साल सोने की कीमत में काफी तेजी देखी जा रही है. 31 दिसंबर 2024 को सोने का भाव (प्रति 10 ग्राम) 78950 रुपये था और अब ये 34150 रुपये या 43.25 फीसदी की छलांग लगा चुका है.
99.5 प्रतिशत शुद्धता वाली यह कीमती धातु भी 100 रुपये बढ़कर 1,12,600 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) के नए रिकॉर्ड स्तर को छू गई. महंगाई की चिंता, बढ़ता सार्वजनिक कर्ज और कमजोर अमेरिकी विकास जैसे बाजार जोखिमों के बढ़ने से सोने की कीमतों में भारी उछाल आया है.
'गोल्ड के लिए ब्लॉकबस्टर साल रहा 2025'
ऑग्मोंट की रिसर्च प्रमुख रेनिशा चैनानी ने कहा, ''एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) प्रवाह, खासकर एशिया में, सोने की कीमतों के लिए एक स्विंग फैक्टर रहा है.'' पीएल कैपिटल के डायरेक्टर और रिटेल ब्रोकिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन के सीईओ संदीप रायचुरा ने कहा, ''गोल्ड के लिए यह एक ब्लॉकबस्टर साल रहा है, 2025 में घरेलू कीमतें 40 फीसदी से अधिक बढ़ जाएंगी.''
सुरक्षित निवेश का पसंदीदा विकल्प बना गोल्ड!
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक संदीप रायचुरा ने कहा, ''गोल्ड की कीमतों में यह उछाल केंद्रीय बैंकों की भारी खरीदारी, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) में मजबूत निवेश, कई दरों में कटौती की उम्मीद और टैरिफ से जुड़े लगातार राजनीतिक तनावों की वजह से आया है. इन कारकों ने सोने को सुरक्षित निवेश का पसंदीदा विकल्प बना दिया है, हालांकि रिकॉर्ड स्तर पर नए निवेश में अब अस्थिरता का जोखिम है.''
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में नरमी
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में नरमी आई और हाजिर सोना 0.52 प्रतिशत की गिरावट के साथ 3,621.91 डॉलर प्रति औंस पर आ गया. हाजिर चांदी भी 0.35 प्रतिशत गिरकर 41.01 डॉलर प्रति औंस पर आ गई. निवेशक नवीनतम अमेरिकी कंज्यूमर इन्फ्लेशन रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जो आज (11 सितंबर) ही जारी होने वाली है.
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के सीनियर एनालिस्ट (कमोडिटीज) सौमिल गांधी ने कहा, ''यूएस कंज्यूमर इन्फ्लेशन रिपोर्ट से मुद्रास्फीति पर और स्पष्टता मिलने की उम्मीद है, जो संभावित रूप से अगले हफ्ते फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में अपेक्षित कटौती के प्रभाव को प्रभावित करेगी.''