एनसीआर के उत्तर प्रदेश वाले इलाके- गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर और शामली में बढ़ते वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए यूपी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने एक विस्तृत एक्शन प्लान तैयार किया है, जिसके तहत पूरे एनसीआर-यूपी में डीजल ऑटो रिक्शा के संचालन पर चरणबद्ध तरीके से रोक लगाई जाएगी. सरकार का मानना है कि सड़क की धूल और डीजल गाड़ियों का धुआं प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है, इसलिए इन्हें नियंत्रित करना बेहद जरूरी है.

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मुख्य सचिव एस.पी. गोयल की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में साफ कहा गया कि एनसीआर में रहने वाले लाखों लोगों को राहत पहुंचाने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे. इसी क्रम में गौतमबुद्धनगर (नोएडा-ग्रेटर नोएडा) और गाजियाबाद में डीजल ऑटो का संचालन पहले ही पूरी तरह बंद कर दिया गया है. वहीं बागपत में डीजल ऑटो को बंद करने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2025 तय की गई है.

मेरठ रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी ने क्या उठाया कदम?

मेरठ रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी ने भी कदम उठाते हुए अब डीजल ऑटो के नए परमिट जारी करना और पुराने परमिट का नवीनीकरण पूरी तरह रोक दिया है. सरकार की योजना है कि दिसंबर 2026 तक मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर और शामली जिलों में भी डीजल ऑटो को चरणबद्ध तरीके से पूरी तरह बंद कर दिया जाए.

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अभियान की निगरानी के लिए चीफ नोडल अधिकारी नियुक्त

इस बड़े अभियान की निगरानी के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रमुख सचिव को मुख्य नोडल अधिकारी बनाया गया है. साथ ही राज्य स्तर पर एक विशेष परियोजना निगरानी इकाई (PMU) भी बनाई गई है, जिसमें शहरी विकास, लोक निर्माण, आवास, औद्योगिक विकास तथा अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे, इनका काम होगा कि योजना जमीन पर सही तरीके से लागू हो.

एनसीआर के शहरों खासकर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सड़क की धूल कम करने के लिए एंटी–स्मॉग गन, स्प्रिंकलर और मशीनों से सफाई जारी है. सरकार ने इन व्यवस्थाओं को और बढ़ाने के निर्देश दिए हैं.

वायु गुणवत्ता में सुधार की दिशा में ठोस कदम!

गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर दुनिया के सबसे प्रदूषित इलाकों में गिना जाता है. सर्दियों में हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है. ऐसे में यूपी सरकार का यह कदम वायु गुणवत्ता सुधार की दिशा में अहम माना जा रहा है. उम्मीद है कि इन उपायों से सड़क पर धुआं छोड़ने वाले ऑटो कम होंगे और लोगों को साफ हवा मिल सकेगी.