Delhi News: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मोहल्ला क्लीनिक का नाम बदलकर “आयुष्मान आरोग्य मंदिर” रखने से दिल्ली वालों के स्वास्थ्य की स्थिति में कोई सुधार नहीं होने वाला. उन्होंने कहा कि अगर वास्तव में सरकार गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करना चाहती है तो इन क्लीनिकों का नाम “डा. भीमराव अम्बेडकर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र” रखा जाना चाहिए. देवेन्द्र यादव ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार का 1139 आयुष्मान आरोग्य मंदिर खोलने का लक्ष्य भी एक तरह की अतिशयोक्ति है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने 10 साल में 1000 मोहल्ला क्लीनिक खोलने का वादा किया था, लेकिन केवल 533 क्लीनिक ही बन पाए, और वे भी खस्ताहाल रहे. 'नाम बदलकर अपनी उपलब्धि गिनवाना मकसद है'उन्होंने यह भी कहा कि मोहल्ला क्लीनिकों में भ्रष्टाचार किसी से छिपा नहीं है. ऐसे में सिर्फ नाम बदलने से नहीं, बल्कि मौजूदा क्लीनिकों की स्थिति सुधारने की जरूरत है. यादव ने बीजेपी पर भी आम आदमी पार्टी जैसी राजनीति करने का आरोप लगाया, जिसमें जनता के स्वास्थ्य की चिंता नहीं बल्कि सिर्फ नाम बदलकर अपनी उपलब्धि गिनवाना मकसद है. 'पूरी तरह जल्दबाजी का फैसला है'देवेन्द्र यादव ने याद दिलाया कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2013-14 तक दिल्ली में 450 डिस्पेंसरी थीं, जिनमें एलोपैथिक डिस्पेंसरी, मोबाइल हेल्थ क्लीनिक और स्कूल हेल्थ स्कीम शामिल थीं. आम आदमी पार्टी ने इन्हें बंद कर मोहल्ला क्लीनिक खोले, जिनकी संख्या 2022-23 में घटकर 228 रह गई. उन्होंने बीजेपी पर भी तंज कसते हुए कहा कि तीन महीनों में 70 आरोग्य मंदिरों के उद्घाटन का लक्ष्य पूरी तरह जल्दबाजी का फैसला है. 'गरीबों के इलाज के लिए समर्पित रहना चाहिए'यदि आम आदमी पार्टी 11 साल में केवल 545 मोहल्ला क्लीनिक ही खोल पाए, तो बीजेपी सरकार कैसे एक साल में 1139 आरोग्य मंदिर खोल पाएगी? देवेन्द्र यादव ने कहा कि बीजेपी की घोषणा, “50 हजार की आबादी पर एक बड़ा आरोग्य मंदिर और 15 हजार की आबादी पर एक छोटा आरोग्य मंदिर बनाया जाएगा, जिसमें मुफ्त दवाइयां और जांचें उपलब्ध होंगी'',.
उन्होंने कहा कि यह केवल दिल्ली वालों को गुमराह करने वाली है. उन्होंने जोर देकर कहा कि बीजेपी को दिखावे की राजनीति छोड़कर, स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और गरीबों के इलाज के लिए समर्पित रहना चाहिए, ताकि डा. भीमराव अम्बेडकर के सपनों का समाज बनाया जा सके.
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