अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के नेतृत्व वाले दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) ने DUSU कार्यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर अपने कार्यकाल का विस्तृत ब्यौरा पेश किया.
DUSU सचिव मित्रविंदा कर्णवाल, उपाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह, एबीवीपी की राष्ट्रीय मंत्री शिवांगी खरवाल और प्रांत मंत्री सार्थक शर्मा की मौजूदगी में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया गया कि छात्रसंघ ने न सिर्फ छात्रों की आवाज बुलंद की, बल्कि प्रशासन को भी कई बड़े फैसले लेने पर मजबूर किया.
छात्रों के लिए ठोस फैसले
DUSU पदाधिकारियों ने कहा कि उनके कार्यकाल में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) का पूर्ण कार्यान्वयन, चौथे वर्ष में प्रवेश की व्यवस्था, पूर्वी और पश्चिमी कैंपस की आधारशिला, केंद्रीकृत हॉस्टल आवंटन प्रणाली और “एक कोर्स-एक शुल्क” जैसी नीतियों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका रही.
फीस वृद्धि का विरोध कर छात्रों को राहत दिलाना और आंतरिक शिकायत समिति (ICC) को प्रभावी बनाना भी प्रमुख कदम रहे. छात्रसंघ ने दावा किया कि इस कार्यकाल में 4,248 विद्यार्थियों की समस्याओं का सीधे कार्यालय से समाधान किया गया. 'डूसू इन कैंपस' अभियान के जरिए हजारों छात्रों तक पहुंचा गया.
महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान
वहीं, रेंट कंट्रोल अधिनियम की मांग, यू बस सेवा की शुरुआत और डॉ. भीमराव अंबेडकर लॉ इंटर्नशिप जैसे प्रयासों ने छात्रों को राहत और अवसर दोनों दिए. डूसू ने महिला सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए 24 घंटे सक्रिय वामिका हेल्पलाइन, कॉलेजों के बाहर महिला PCR व्यवस्था और मिशन साहसी के तहत आत्मरक्षा प्रशिक्षण जैसे कदम उठाए.
ऋतुमति अभियान के जरिए 250 से अधिक बस्तियों में मासिक धर्म स्वास्थ्य पर जागरूकता अभियान चलाया गया और कॉलेजों में सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीनें पुनः स्थापित करवाई गईं. इन पहलों से छात्राओं का आत्मविश्वास और सुरक्षा दोनों बढ़ी.
वादों पर खरा उतरने का दावा
इस मौके पर DUSU सचिव मित्रविंदा कर्णवाल ने कहा कि, अधिकांश वादों को पूरा करना इस कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि है. केंद्रीकृत हॉस्टल आवंटन, आंतरिक शिकायत समिति को प्रभावी बनाना, ‘एक कोर्स–एक शुल्क’ की नीति को आगे बढ़ाना और फीस वृद्धि का विरोध करना प्रमुख उपलब्धियां रहीं.
साथ ही, ‘शक्ति वंदन’ कार्यक्रम के जरिए छात्राओं को सम्मानित कर उनके आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को बढ़ावा दिया गया. उन्होंने आश्वस्त किया कि भविष्य में भी छात्रहित के हर मुद्दे पर संघर्ष जारी रहेगा.
धरातल पर छात्रों की आवाज बना छात्रसंघ
वहीं, उपाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि यह कार्यकाल साबित करता है कि छात्रसंघ केवल कागजी वादों तक सीमित नहीं रहा. बॉन्ड नीति का विरोध, अप्रत्यक्ष चुनाव की कोशिशों को विफल करना और रोजमर्रा की समस्याओं का समाधान, इसकी मिसाल हैं.
उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर लॉ इंटर्नशिप जैसे अकादमिक अवसरों ने छात्रों के करियर को नई दिशा दी और प्रशासन को जनहितकारी फैसले लेने पर मजबूर किया. अभाविप की राष्ट्रीय मंत्री शिवांगी खरवाल ने इसे छात्रहित, सेवा और संघर्ष की त्रिवेणी करार दिया.
भविष्य में भी संघर्ष का संकल्प
मंत्री शिवांगी खरवाल ने कहा कि महिला सुरक्षा, हॉस्टल समस्या, फीस वृद्धि, 1 लाख के बॉन्ड का विरोध और अप्रत्यक्ष चुनावों का प्रतिरोध, हर स्तर पर DUSU ने बिना समझौते के लड़ाई लड़ी. मिशन साहसी और ऋतुमति अभियान ने छात्राओं को सुरक्षा और स्वास्थ्य दोनों के प्रति जागरूक किया.
प्रांत मंत्री सार्थक शर्मा ने कहा कि यह साल इस बात का प्रमाण है कि संगठन-आधारित छात्रसंघ ही छात्रों की सच्ची आवाज बन सकता है. DUSU इन कैंपस अभियान से लेकर 4,000 से अधिक समस्याओं का प्रत्यक्ष समाधान, रेंट कंट्रोल अधिनियम की मांग, विशेष बस सेवा की शुरुआत और अकादमिक अवसरों का विस्तार, इन सबने इस कार्यकाल को ऐतिहासिक बना दिया. उन्होंने कहा कि भविष्य में भी जब-जब छात्रहित पर आघात होगा, अभाविप उसी दृढ़ता से संघर्ष करेगा.