Delhi News: दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार (6 मार्च) को पूर्वोत्तर दिल्ली दंगा 2020 के दौरान दयालपुर क्षेत्र में दंगा और आगजनी (Delhi riots 2020) के मामले में 11 लोगों को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि 'कोई लॉजिक या पॉसिबिलिटी ही नहीं है कि मुस्लिम समुदाय की भीड़ में शामिल लोग जय श्री राम का नारा लगाएंगे या किसी मुस्लिम व्यक्ति को पीटेंगे.'


इस ममाले को लेकर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने कहा पॉसिबल है कि घटना को अंजाम देने वाले लोगों की भीड़ हिंदू समुदाय से थी. वहीं जांच अधिकारी (आईओ) और इस मामले के गवाह का आरोप था कि दो ग्रुपों की भीड़ ने एक दूसरे के खिलाफ नारे लगाए, एक-दूसरे पर पथराव किया और कई वाहनों में आग लगा दी.


कोर्ट ने क्या कहा?
अभियोजन पक्ष ने दो चश्मदीदों के बयानों पर भरोसा किया, जिन्होंने नौ आरोपियों की पहचान की. इसके अलावा वीडियो से लाठियां ले जाने वाले दो आरोपियों की पहचान की गई. वहीं एक शिकायतकर्ता मोहम्मद मुमताज ने आरोप लगाया कि भीड़ 'जय श्री राम' के नारे लगा रही थी. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा मुमताज के बयान पर यह आरोप लगाना कि भीड़ नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का विरोध कर रही थी, यह झूठ गढ़ा गया है.


कोर्ट ने चश्मदीदों के गवाही को खारिज किया 
बता दें कि दंगे के समय मोहम्मद मुमताज की किराए की दुकान 'संजर चिकन कॉर्नर' पर हमला किया गया था. वहीं कोर्ट ने दोनों चश्मदीद गवाहों की गवाही को खारिज करते हुए कहा कि 'अगर कोई आई विटनेस सचिन और दीपक के बयान को देखे, तो ऐसा लगता है कि यह बयान सामान्य ऑब्जर्वेशन और संजर चिकन शॉप में हुई घटना को देखे बिना दिया गया था.'


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