दिल्ली सरकार 15 अक्टूबर तक कृत्रिम बारिश का ट्रायल करने की तैयारी कर रही है. सरकार का पर्यावरण विभाग लगातार वायुमंडलीय परिस्थितियों की निगरानी कर रहा है और उसने मौसम विभाग से मानसून की स्थिति और वापसी की तारीख के बारे में अपडेट जानकारी मांगी है, ताकि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से क्लाउड-सीडिंग (बादल बीजारोपण) के लिए नये समय-सीमा की स्वीकृति के लिए आवेदन किया जा सके.

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दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने मीडिया को बताया, ''विभाग मानसून की वापसी के बाद परीक्षण करेगा ताकि इसका सर्वोत्तम परिणाम मिल सके. मौसम विभाग से स्पष्ट जानकारी मिलते ही डीजीसीए को फिर से पत्र लिखकर कृत्रिम वर्षा के इन अभियानों को सुरक्षित ढंग से संचालित करने के लिए आवश्यक अनुमति मांगी जाएगी.''

कृत्रिम वर्षा की पहल कड़ी निगरानी में की जाएगी- सिरसा

मंत्री सिरसा ने कहा कि अंतिम समय-सीमा वायुमंडलीय आंकड़ों की प्रवृत्तियों और बादलों की स्थिति के वैज्ञानिक आकलन के आधार पर तय की जाएगी. सरकार का यह सक्रिय कदम राष्ट्रीय राजधानी में मानसून के बाद गिरते भूजल स्तर और बढ़ते वायु प्रदूषण की चिंताओं को दूर करने की दिशा में उठाया गया है. कृत्रिम वर्षा की यह पहल कड़ी निगरानी में की जाएगी और मौसम विभाग की विस्तृत रिपोर्ट इसके क्रियान्वयन में सहायक होगी.

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जुलाई में मंत्री सिरसा ने क्या घोषणा की थी?

इससे पहले जुलाई में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिरसा ने घोषणा की थी कि मानसून के आगमन के कारण परीक्षण स्थगित कर दिया गया था. परीक्षण को अगस्त अंत तक टाल दिया गया था क्योंकि बारिश के कारण अपेक्षित परिणाम प्रभावित हो सकते हैं. चार जुलाई से 11 जुलाई के बीच होना वाला परीक्षण पुनर्निर्धारित किया गया है. मौसम विशेषज्ञों से परामर्श और मौजूदा मौसम को देखते हुए परियोजना दल ने संशोधित अवधि 30 अगस्त से 10 सितंबर का प्रस्ताव किया था.

सिरसा ने आगे कहा, ''नयी अवधि क्लाउड-सीडिंग प्रक्रिया के लिए अधिक उपयुक्त बादल संरचनाएं उपलब्ध कराने की संभावना रखती है.'' यह अभियान आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग द्वारा भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), पुणे और भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के विशेषज्ञों के साथ मिलकर सेसना 206-एच विमान (वीटी-आईआईटी) के जरिये किया जाएगा.