दिल्ली ब्लास्ट में उजड़े कई घर, किसी का बेटा गया, किसी का भाई, रोते-बिलखते परिजनों ने सुनाई दर्दभरी कहानी
Delhi Blast: दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार ब्लास्ट में 9 लोगों की जान गई. श्रावस्ती के दिनेश मिश्रा, मेरठ के मोहसिन और अमरोहा के मुकेश अग्रवाल भी इस हादसे में मारे गए.

देश की राजधानी दिल्ली सोमवार (10 नवंबर) की शाम उस वक्त दहल गई जब लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास खड़ी एक कार में अचानक जोरदार धमाका हो गया. इस हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई और 16 लोग घायल हुए. एनआईए, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और फोरेंसिक टीमों ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है.
लेकिन इस हादसे ने सिर्फ कुछ जिंदगियां ही नहीं छीनीं, बल्कि कई परिवारों को उजाड़ भी दिया. मृतकों के घरों में अब सिर्फ मातम है और सवाल है कि “हमारा कसूर क्या था?”
'भाई को अज्ञात बताकर मोर्चरी में रख दिया गया'
उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती के रहने वाले और लंबे समय से दिल्ली में काम कर रहे दिनेश मिश्रा की इस ब्लास्ट में मौत हो गई. उनके भाई गुड्डू मिश्रा ने जो कहानी सुनाई, वो दिल झकझोर देने वाली है.
गुड्डू मिश्रा ने बताया, “मेरे भाई का नाम दिनेश मिश्रा है. ब्लास्ट में उसकी जान चली गई है. मैं रात 8 बजे से उसे फोन लगाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन लग नहीं रहा था. रात 11.15 ने किसी ने उसका फोन उठाया. वह अस्पताल में था. मुझे बताया गया कि लोकनायक अस्पताल के इमरजेंसी वॉर्ड में आ जाइए. हमारा घर वहां से 25 किलोमीटर दूर है. मुझे अस्पताल पहुंचने में रात 12.00 बजे गए. मुझे अस्पताल में अंदर जाने नहीं दिया गया. बहुत हंगामा करने का बाद परिसर में जाने दिया गया, लेकिन मेरे भाई से नहीं मिलवाया गया.”
Delhi: Dinesh Mishra, a resident of Shravasti, Uttar Pradesh and longtime Delhi worker, passed away in the car blast near Lal Qila
— IANS (@ians_india) November 11, 2025
Guddu Mishra, brother of deceased Dinesh Mishra, says, "...I could not reach him on the phone; I tried calling around 8 PM and at around 11:15 PM,… pic.twitter.com/PcxRA2rEhk
गुड्डू ने आगे कहा, “घायलों या मृतकों की लिस्ट में मेरे भाई का नाम नहीं था. उस समय उसके पास आधार कार्ड नहीं था, इसलिए उसे अज्ञात की लिस्ट में डाल दिया गया. मैंने उन लोगों से कहा कि मुझे दिखा दीजिए, मैं अपने भाई को पहचान लूंगा. हालांकि, उन्होंने मेरी यह बात भी नहीं मानी.”
उन्होंने बताया, “रात 2.00 बजे तक वहां भटकता रहा. तब तक मेरी कोई बात नहीं सुनी गई. इसके बाद एसएचओ से मिले तो उन्होंने कहा कि मोर्चरी में पता करिए. जब वहां पहुंचा तो देखा कि मेरे भाई का शव रखा था.”
दिनेश मिश्रा 34 साल के थे और चावड़ी बाजार में शादी के कार्ड की एक छोटी सी दुकान चलाते थे. उनके तीन छोटे बच्चे हैं, जो गांव में रहते हैं. दिनेश पिछले 15-16 साल से दिल्ली में रहकर दुकान से जो भी कमाते थे, वही गांव भेज देते थे.
'दिल्ली में काम के लिए गया था, अब लाश आई'
वहीं, मेरठ के रहने वाले मोहसिन भी इस हादसे में अपनी जान गंवा बैठे. उनका परिवार अब गहरे सदमे में है. मोहसिन की मां ने रोते हुए कहा, “मेरा बेटा 35 साल का था. बैटरी रिक्शा चलाता था. छोटी बहू ने बताया कि वह नहीं रहा. उसके दो बच्चे हैं. एक बेटा और एक बेटी. दिल्ली में बीते एक साल से काम कर रहा था. पहले मेरठ रहता था. पूरा परिवार ही मेरठ रहता है. उसकी पत्नी दिल्ली की हैं, तो यहीं रहते थे.”
उन्होंने बताया कि मोहसिन खाने-कमाने के लिए दिल्ली आया था, ताकि परिवार का खर्च चला सके.
Delhi: The family of Mohsin, a resident of Meerut who lost his life in the car blast near Delhi's Red Fort Metro Station, shared their views
— IANS (@ians_india) November 11, 2025
His mother says, "He had come from Meerut to Delhi in search of employment. Here, he used to drive an e-rickshaw. Our Daughter-in-law… pic.twitter.com/0djiVTwAYy
मोहसिन की मां बताया, “बहू कहती थी कि दिल्ली में रोजगार अच्छा है, इसलिए वह चला गया. रात में बहू ने फोन किया कि बेटा घर नहीं आया है. उसने बताया यहां ब्लास्ट हो गया, जल्दी आ जाओ.”
वहीं यूपी के अमरोहा के रहने वाले मुकेश अग्रवाल भी दिल्ली बम धमाके में मारे गए. उनके छोटे भाई ने बताया, "कल सुबह सरगंगा राम में अपनी समधन को देखने आए थे. उसके बाद लाल किला मेट्रो स्टेशन है, वहां जाकर उतरे. उसके बाद फिर वहां पर लास्ट हुआ. जब फोन वगैरह किया गया तो पुलिस वालों ने फोन उठाया. उसके बाद उन्होंने वहां बुलाया जब मालूम पड़ा कि घटना हुई है."
जांच जारी, लेकिन दर्द गहराता जा रहा
एनआईए, दिल्ली पुलिस और फोरेंसिक टीमें ब्लास्ट की हर एंगल से जांच कर रही हैं. शुरुआती जांच में विस्फोटक पदार्थ का इस्तेमाल होने की बात सामने आई है. हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि यह आतंकी हमला था या किसी साजिश का हिस्सा.
लेकिन इन सबके बीच दिनेश मिश्रा और मोहसिन जैसे आम लोगों के परिवारों के लिए जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई है. किसी का भाई छिन गया, किसी का बेटा और पीछे रह गए सिर्फ आंसू और यादें.
Source: IOCL






















