Delhi News: दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने एक नाबालिग लड़की के साथ बार-बार रेप के दोषी निजी सुरक्षा गार्ड को पॉक्सो अधिनियम के तहत 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ऐसे अपराधों में दोषी को कम सजा देना न्याय प्रणाली की प्रभावशीलता को कमजोर कर सकता है. यह फैसला एडिशनल सेशन जज सुशील बाला डागर ने सुनाया. आरोपी को इस महीने की शुरुआत में रेप और पॉक्सो की धारा 6 के तहत गंभीर यौन शोषण का दोषी ठहराया गया.
सरकारी वकील ने अदालत में अहम दलील पेश करते हुए कहा कि आरोपी का अपराध समाज पर गहरा प्रभाव डालता है, इसलिए उसे कठोर सजा दी जानी चाहिए. रोहिणी कोर्ट में स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर योगिता कौशिक दहिया ने दलील दी कि आरोपी ने अपहरण, बार-बार यौन शोषण और पीड़िता को धमकाने जैसे गंभीर और अमानवीय अपराध किए हैं. ऐसे में उसके प्रति कोई नरमी नहीं बरती जानी चाहिए.
अदालत ने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का दिया हवाला
कोर्ट के फैसले में अदालत ने 2015 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा दोषी को कम सजा देकर दिखाई गई अनावश्यक सहानुभूति न केवल न्याय प्रणाली को नुकसान पहुंचाती है बल्कि जनता के कानून में विश्वास को भी कमजोर करती है. इसके अलावा, अदालत ने 2006 के एक अन्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सजा तय करते समय अपराध की गंभीरता, पीड़िता की उम्र और स्थिति, दोषी का आचरण और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि जैसे पहलुओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.
अदालत ने पीड़िता को राहत और पुनर्वास सहायता देने का आदेश दिया
कोर्ट ने सभी तथ्यों पर विचार करते हुए पीड़िता को पुनर्वास सहायता के रूप में 10.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. यह मामला 2021 में सामने आया था, जब पीड़िता के परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. जांच में सामने आया कि आरोपी ने पीड़िता का अपहरण कर उसे लंबे समय तक शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी थी.