Delhi News: दक्षिणी दिल्ली (Delhi) के महरौली इलाके में अखूंदजी मस्जिद (Akhoondji Masjid) और बहरूल उलूम (Behrul Uloom) मदरसे को बुलडोजर से ढहा दिया गया है. स्थानीय लोगों का दावा है कि यह मस्जिद करीब 700 साल पुरानी थी. डीडीए (DDA) ने इस पर बुलडोजर चला दिया है और उसका दावा है कि यह अवैध निर्माण था. महरौली मस्जिद से जुड़े एक शख्स इमाम जाकिर हुसैन ने पूरे घटनाक्रम को लेकर मीडिया से बात की. उन्होंने बताया कि किस तरह मंगलवार सुबह के वक्त पुलिस आई और फिर आगे की कार्रवाई हुई. 


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इमाम हुसैन ने बताया कि वह सुबह की नमाज के लिए तैयार हो रहे थे तभी पुलिस महरौली मस्जिद में आई. मस्जिद में संचालित मदरसा में पढ़ने और रहने वाले बच्चों से कहा गया कि वह अपना सामान पैक करे और यहां से चले जाए. इस परिसर में एक मस्जिद, मदरसा और कब्र भी था. लेकिन इसे धरोहर इमारत घोषित नहीं किया गया था. इमाम हुसैन ने बताया, ''हमें हमारा सामान पैक करने के लिए मुश्किल से 10 मिनट दिए गए. और मशीन लाकर ढहाना शुरू कर दिया गया.'' हुसैन पिछले डेढ़ साल से इसके इमाम थे. उनका आरोप है कि डीडीए ने उनका फोन ले लिया और उन्हें मस्जिद से बाहर ले गए और मस्जिद को घेर दिया. उनका आरोप है कि आस-पास सीआईएसएफ के जवान तैनात किए गए थे और मस्जिद के मलबे को तुरंत फेंक भी दिया गया. 


कब्र को हटाने पर लोगों ने जताई आपत्ति
मस्जिद परिसर में मौजूद कब्रिस्तान में इशरुतुन निसा नाम की महिला को अगस्त 2020 में दफ्नाया गया था. उसके पति ने आरोप लगाया कि उसके कब्र को भी नहीं छोड़ा गया. पति ने कहा, ''मेरी पत्नी की लीवर की बीमारी के कारण मौत हो गई थी, महामारी के समय कब्र ढूंढना मुश्किल था. हम किसी तरह यह स्थान ढूंढ पाए थे.''  बताया जा रहा है कि मदरसा में रहने वाले बच्चों के माता-पिता को इसकी जानकारी तब दी गई जब मदरसे को ढहा दिया गया. 


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