दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) ने बड़ा कदम उठाया है. अब कार्य दिवसों में मेट्रो 40 अतिरिक्त फेरे लगाएगी ताकि लोग अपने निजी वाहनों के बजाय मेट्रो से सफर करना चुनें और प्रदूषण में कमी लाई जा सके. डीएमआरसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह निर्णय वायु प्रदूषण नियंत्रण उपायों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. दिल्ली में सर्दियों के मौसम के दौरान वायु गुणवत्ता में लगातार गिरावट आ रही है और इसी को देखते हुए मेट्रो सेवाओं की आवृत्ति बढ़ाने का फैसला किया गया है.

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60 तक बढ़ाई जा सकती है मेट्रो फेरों की संख्या- डॉ. विकास कुमार

डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक डॉ. विकास कुमार ने बुधवार (29 अक्टूबर) को पर्यावरण और नागरिक विभागों के अधिकारियों के साथ निर्माणाधीन कृष्णा पार्क एक्सटेंशन-आरके आश्रम मार्ग कॉरिडोर का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने उत्तरी दिल्ली के अशोक विहार और डेरावाल नगर क्षेत्रों में धूल नियंत्रण के प्रयासों की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि अगर वायु प्रदूषण की स्थिति और गंभीर हुई और 'ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान' (GRAP) का तीसरा चरण लागू होता है, तो मेट्रो फेरों की संख्या 60 तक बढ़ाई जा सकती है.

डीएमआरसी ने निर्माण स्थलों पर धूल और प्रदूषण को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं. इनमें नियमित रूप से पानी का छिड़काव, अपशिष्ट पदार्थों का सुरक्षित निपटान और 'एंटी-स्मॉग गन' की तैनाती शामिल है.

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परियोजना स्थलों पर 82 'एंटी-स्मॉग गन' सक्रिय

बयान में बताया गया कि डीएमआरसी देश की पहली निर्माण एजेंसियों में से एक थी जिसने 'एंटी-स्मॉग गन' का उपयोग अनिवार्य होने से पहले ही शुरू कर दिया था. वर्तमान में उसके विभिन्न परियोजना स्थलों पर 82 'एंटी-स्मॉग गन' सक्रिय रूप से काम कर रही हैं और आवश्यकता के अनुसार इनकी संख्या और बढ़ाई जाएगी.

निजी वाहनों की जगह मेट्रो का लोग करें उपयोग- डीएमआरसी

इसके अलावा, डीएमआरसी ने दीर्घकालिक पर्यावरणीय पहलें भी शुरू की हैं जिनमें ऊर्जा-संवर्धन, ग्रीन कॉरिडोर और सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना शामिल है. मेट्रो प्रशासन का कहना है कि उनका उद्देश्य सिर्फ परिवहन सुविधा देना नहीं, बल्कि राजधानी में वायु प्रदूषण को कम करने में भी अहम भूमिका निभाना है. उन्होंने यात्रियों से अपील की है कि वे निजी वाहनों की जगह मेट्रो का उपयोग करें ताकि सामूहिक रूप से स्वच्छ वायु और स्वस्थ वातावरण के लक्ष्य को हासिल किया जा सके.