दिल्ली में भारी बारिश के बाद भी उमस, मानसून के दौरान भी बिजली की डिमांड में इजाफा
Power Demand Rise In Delhi: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की स्टडी में कहा गया है कि गर्मी और उमस से ठंडक के लिए AC और कूलर का इस्तेमाल बढ़ने से इसका बिजली की खपत पर सीधा असर पड़ता है.

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गर्मी और उमस की वजह से इस बार बिजली की खपत बहुत ही ज्यादा बढ़ गई. प्री-मानसून महीनों के दौरान भीषण गर्मी और मानसून सीजन में उमस बढ़ने के कारण राजधानी में बिजली की मांग अब पहले की तुलना में अपने चरम पर पहुंच गई है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की एक स्टडी में बताया गया है कि इस साल 2025 में गर्मी और उमस बढ़ने से दिल्ली में बिजली की खपत में रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
'दिल्ली कैसे अपनी ठंडक खो रही है: गर्मी और शीतलन और बिजली की खपत की बढ़ती मांग' शीर्षक वाली स्टडी ने इस बात का जिक्र किया गया है कि गर्मी के सीजन में गर्मी और उमस में तेज बढ़ोत्तरी की वजह से दिल्ली में बिजली की खपत में उल्लेखनीय उछाल आया. रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मी और उमस के दबाव से ठंडक के लिए AC और कूलर का इस्तेमाल बढ़ने से इसका बिजली की खपत पर सीधा असर पड़ता है.''
12 जून को दिल्ली की पावर डिमांड रिकॉर्ड स्तर पर रही
CSE की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल 12 जून को शहर की बिजली की मांग 8,442 मेगावाट तक पहुंच गई, जो राजधानी में अब तक का दूसरा सबसे अधिक रिकॉर्ड है. शहर की ऑल टाइम हाईएस्ट पीक डिमांड पिछले साल 19 जून को दर्ज की गई 8,656 मेगावाट से केवल 2.5 प्रतिशत अधिक थी. स्टडी में यह भी कहा गया है कि 2015 और 2025 के बीच, दिल्ली की पीक पावर डिमांड 5,846 मेगावाट से बढ़कर 8,442 मेगावाट हो गई है, जो केवल एक दशक में 44 फीसदी की वृद्धि दर्ज करती है.
बिजली मांग का 67 % हिस्सा गर्मी और उमस के कारण
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक स्टडी के प्रमुख निष्कर्षों में शामिल है कि मार्च से मई के प्री-मानसून महीनों के दौरान हीट इंडेक्स 31-32°C रहा. इस दौरान बिजली की मांग स्थिर रही. जून से अगस्त के मानसून महीनों के दौरान हीट इंडेक्स तेजी से बढ़ी और 46-50°C से ऊपर रही. इसमें यह भी पाया गया कि दिल्ली की दैनिक अधिकतम बिजली मांग का 67 प्रतिशत हिस्सा गर्मी और उमस के कारण है.
हीट आइलैंड प्रभाव से स्थिति और खराब
इसके अलावा, शहर पर हीट आइलैंड प्रभाव के कारण स्थिति और भी खराब हो रही है, क्योंकि रातें गर्म रहती हैं और दिन की गर्मी जल्दी कम नहीं होती, जिससे जन स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाता है. सीएसई ने कहा, "अगस्त की पीक डिमांड के विश्लेषण से पता चलता है कि शहर में बिजली की कमी अब केवल मई-जून तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अब मानसून के महीनों में भी गहराती जा रही है. इस साल ज्यादा बारिश के बावजूद, अगस्त 2025 में औसत पीक डिमांड अगस्त 2024 की तुलना में लगभग 2 फीसदी ज्यादा थी.
Source: IOCL






















