दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी के द्वारिका इलाके में पेड़ों की छंटाई करने का आदेश दिया और इस मामले में दिल्ली नगर निगम की लापरवाही पर नाराजगी भी जताई है.
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा कि तत्काल छंटाई की जरूरत है ताकि पैदल यात्रियों और सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
दिल्ली हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान नाराजगी जताते हुए कहा की अधिकारियों ने अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया. पेड़ों की देखभाल और हल्की छटनी बेहद जरूरी है जब हमने एक जान गंवा दी है तो एमसीडी के लिए और क्या सबक हो सकता है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि हर बार भारी बारिश में पेड़ों के गिरने से जान माल का नुकसान होता है लेकिन संबंधित विभाग समय रहते कोई कदम नहीं उठाते. अदालत ने दिल्ली सरकार द्वारा 2 मई को जारी एसओपी का हवाला देते हुए कहा कि उसके मुताबिक काम होना चाहिए लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है.
कोर्ट जनहित याचिका पर कर रहा सुनवाई
दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि मृत पेड़ों की शाखाओं और हिस्सो के गिरने से संपत्ति और लोगों की जान को नुकसान पहुंच रहा है और सड़कों और फुटपाथो पर आना जाना बाधित हो रहा है.
वहीं दिल्ली हाईकोर्ट में पेड़ों के गिरने की वजह से हो रही दिक्कतों को लेकर तस्वीर भी कोर्ट के समक्ष पेश की गई. अदालत ने तस्वीरों को देखकर कहा कि तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है.
10 दिन में किया जाए सर्वे
जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्देश दिया की द्वारका इलाके में 10 दिनों के भीतर सर्वे किया जाए ताकि पता चल सके कितने पेड़ों की छंटाई आवश्यक है. इसके साथ ही कोर्ट ने साफ किया कि सर्वे पूरा होने के चार हफ्तों के भीतर पूरी छंटाई का काम पूरा होना चाहिए.