दिल्ली हाई कोर्ट में एयर इंडिया की फ्लाइट में हंगामा करने, क्रू मेंबर को धमकाने और विमान का दरवाजा खोलने की कोशिश करने वाले आरोपी हार्वे मैन के मामले में ट्रायल कोर्ट को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयान दर्ज न होने और सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल न होने के बावजूद, चार्ज तय करना न्यायिक चूक है.
यह पूरा मामला सितंबर 2022 की घटना से जुड़ा है. जैसे ही एयर इंडिया की फ्लाइट टेकऑफ हुई, आरोपी हार्वे मैन ने सीट लेने से इनकार कर दिया. उसने गुस्से में बार-बार विमान का दरवाजा खोलने की कोशिश की और चिल्लाते हुए बोला कि मैं शहादत के लिए तैयार हूं और सबको अपने साथ ले जाऊंगा.
क्रू मेंबर्स को लगातार गालियां और धमकियां दी
क्रू मेंबर्स को लगातार गालियां और धमकियां दी गईं. आरोपी ने विमान के अंदर लगे पीटीवी, रिमोट और आर्मरेस्ट भी तोड़ डाले. हालांकि पायलट ने एसओपी के तहत पहले मौखिक और फिर लिखित चेतावनी जारी की थी, लेकिन आरोपी के बिहेवियर में कोई सुधार नहीं हुआ.
इसके बाद मामला तुरंत DGCA और अन्य अधिकारियों तक पहुंचा और आरोपी का नाम नो फ्लाइट लिस्ट में डाल दिया गया. बाद में उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई. दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि अभियोजन ने तीन गवाहों का जिक्र किया था, लेकिन गवाही कोर्ट में रिकॉर्ड ही नहीं हुई.
इतने गंभीर मामले में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती - हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि निचली अदालत को चाहिए था कि जब तक इस मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल न हो, तब तक आरोप तय करने की कार्रवाई स्थगित रखी जाती.
हाई कोर्ट ने कहा कि इतने गंभीर मामले में जांच की यह लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती. दिल्ली हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि घटना के 3 साल बीत जाने के बाद भी जांच अधिकारी ने अब तक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल नहीं की.