दिल्ली हाई कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें राष्ट्रीय क्रिकेट टीम को "इंडियन क्रिकेट टीम" कहने पर रोक लगाने की मांग की गई थी. दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच में चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला शामिल थे. याचिकाकर्ता वकील रीपक कंसल को कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई.

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याचिकाकर्ता को कोर्ट की फटकार

दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आप यह कहना चाहते हैं कि यह टीम भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करती, जो हर जगह जाकर भारत का नाम रोशन कर रही है. कोर्ट ने कहा कि यह जनहित याचिका समय की बर्बादी है. अदालत ने यह भी पूछा कि क्या किसी भी खेल या राष्ट्रीय टीम का चयन सरकारी अधिकारियों द्वारा किया जाता है, चाहे वह ओलंपिक टीम हो या राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेने वाली टीम. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि टीम का चयन निजी संगठन करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे भारत का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे.

बीसीसीआई पर सवाल

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने दलील दी कि बीसीसीआई तमिलनाडु सोसाइटीज पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत एक निजी संस्था है और इसे राष्ट्रीय खेल महासंघ के रूप में सरकार द्वारा मान्यता नहीं मिली है. याचिका में कहा गया कि बीसीसीआई की क्रिकेट टीम को "टीम इंडिया" कहा जाता है और प्रसारण में राष्ट्रीय प्रतीकों जैसे भारतीय ध्वज का इस्तेमाल किया जाता है, जो संविधान के अनुरूप नहीं है.

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कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील खारिज की

दिल्ली हाई कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि सिर्फ इसलिए कि टीम ने राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल किया, इसका मतलब यह नहीं कि कोई कानून का उल्लंघन हो रहा है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अंतरराष्ट्रीय खेल संस्थाएं अक्सर सरकारी हस्तक्षेप के खिलाफ रहती हैं. और बीसीसीआई की क्रिकेट टीम को टीम इंडिया कहना पूरी तरह सही है.