Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने महिला समलैंगिक जोड़े (Lesbian Couple) के समर्थन में फैसला सुनाया है. साथ ही इनमें से एक महिला के पैरेंट्स को यह आदेश दिया है कि वह उनपर न दबाव बनाएं और न ही उन्हें धमकाएं. कोर्ट ने कहा कि यह जोड़ा अपनी मर्जी से अपनी जिंदगी जी सकता है. बता दें कि इनमें से एक महिला के घरवालों का कहना है कि वे इस रिश्ते को स्वीकार नहीं कर सकते. परिवार ने कहा कि उन्होंने समलैंगिक संबंध के बारे में पढ़ा लेकिन फिर भी दोनों के रिश्ते के लिए तैयार नहीं हुए. 


कोर्ट ने स्थानीय एसएचओ को यह निर्देश दिया कि बीट कॉन्स्टेबल के साथ ही अन्य पुलिसकर्मियों का मोबाइल नंबर याचिकाकर्ताओं को सौंप दिए जाएं ताकि अगर इस जोड़े को कोई जरूरत हो तो संपर्क कर पाएं और अगर कोई पक्ष आदेश का उल्लंघन करता है तो कार्रवाई की जाए. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान महिला याचिकाकर्ता, उसकी महिला साथी और पिता को अलग-अलग सुना.


याचिकाकर्ता ने काउसंलर को बताई यह बात
महिला ने कहा कि वह अपनी साथी के साथ रहना चाहती है लेकिन माता-पिता इससे सहमत नहीं हैं. कोर्ट ने कहा कि 22 वर्षीय याचिकाकर्ता ने कहा है कि वह अपनी पार्टनर के साथ रहना चाहती है न कि अपने माता-पिता या किसी रिश्तेदार के साथ. जब तक कोई समझौता नहीं हो जाता तब तक कोर्ट ने महिला को एक सप्ताह के लिए शेल्टर होम में रहने के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने शेल्टर होम की डायरेक्टर को महिला और उसके माता-पिता की काउंसलिंग करने का निर्देश दिया था. 


वयस्क है, इच्छा के खिलाफ कहीं नहीं भेज सकते- कोर्ट
हालांकि, शेल्टर होम चलाने वाली एनजीओ की ओर से पेश किए गए स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया कि महिला ने काउंसलर को बताया कि वह अपने परिवार के साथ नहीं जाना चाहती और अपनी पार्टनर के साथ रहना चाहती है. इसके बाद हाई कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि महिला वयस्क है और उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध कहीं नहीं भेजा जा सकता.


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