आतंकी फंडिंग के गंभीर मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. दिल्ली हाई कोर्ट से हिजबुल मुजाहिदीन के मुखिया और अमेरिका से घोषित ग्लोबल टेररिस्ट सैयद सलाउद्दीन के एक बेटे को जमानत मिली, जबकि दूसरे बेटे को दिल्ली हाईकोर्ट ने राहत देने से साफ इनकार कर दिया.
हाईकोर्ट में जस्टिस नवीन चावला और शालिंदर कौर की बेंच ने शहीद यूसुफ की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ पेश सबूत एक बड़े आतंकी फंडिंग नेटवर्क और साजिश की ओर इशारा करते हैं. कोर्ट ने कहा कि हवाला चैनलों से जम्मू-कश्मीर तक आतंकियों के लिए फंड पहुंचने के गंभीर आरोपों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
शहीद यूसुफ पर मामले में गम्भीर आरोप
दिल्ली हाईकोर्ट के मुताबिक, शाहिद यूसुफ ने फरार आतंकी एजाज अहमद भट्ट से पैसा लिया, वह भी पूरी तरह जानते हुए कि यह फंड भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल होगा. वहीं, शाहिद के खिलाफ यह भी आरोप है कि उसने नकली पहचान वाले पासपोर्ट से विदेश यात्रा की और बाद में दस्तावेज को नष्ट कर दिया.
हाईकोर्ट ने कहा कि उनके फरार होने, सबूत मिटाने और गवाहों को प्रभावित करने की पूरी संभावना है. वहीं, कोर्ट ने सैयद सलाउद्दीन के दूसरे बेटे सैयद अहमद शकील को करीब 7 साल की जेल और ट्रायल में देरी के आधार पर जमानत दे दी. हाईकोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ मुख्य आरोप सिर्फ फंड प्राप्त करने का है, न कि उसका आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल करने का.
जांच एजेंसी NIA का गभीर आरोप
शकील सरकारी कर्मचारी हैं और श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, सौरा, में जीवविज्ञान विभाग में सीनियर लैब तकनीशियन के रूप में काम करते थे. जांच एजेंसी NIA के मुताबिक, यह मामला 2011 में दर्ज आतंकी फंडिंग नेटवर्क से जुड़ा है, जिसमें पाकिस्तान में बैठे आतंकी हवाला चैनलों के जरिए जम्मू-कश्मीर में पैसा भेजते थे.
यह फंड भारत में मौजूद कुछ ऑपरेटिव्स के साथ मिलकर अलगाववादी और आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. शाहिद यूसुफ को अक्टूबर 2017 में गिरफ्तार किया गया था, जबकि शकील को 30 अगस्त 2018 को श्रीनगर में बने उनके घर से पकड़ा गया था. शकील पर आरोप था कि उन्होंने वेस्टर्न यूनियन के जरिए फरार आरोपी एजाज अहमद भट्ट से पैसे लिए थे.
साथ ही, उनका नाम सऊदी अरब में मौजूद कैडरों से आतंकी संगठन के लिए फंड जुटाने, लेने और भेजने में भी आया था.