दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें हाल ही में हुए लाल किला ब्लास्ट केस की जांच और ट्रायल पर कोर्ट-मॉनिटर कमेटी बनाने की मांग की गई है. इस याचिका पर सुनवाई कल चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच करेगी. दिल्ली हाई कोर्ट में यह याचिका डॉ. पंकज पुष्कर की ओर से दाखिल की गई है. इसमें मांग की गई है कि नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी जिनकी जांच कर रही है, उस केस का ट्रायल रोजाना आधार पर हो और अभियोजन पक्ष हर महीने अपनी प्रगति रिपोर्ट कोर्ट द्वारा बनाई जाने वाली कमेटी को सौंपे.

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10 नवंबर को लाल किले के बाहर हुए इस धमाके में 13 लोगों की मौत हो गई थी. याचिकाकर्ता के अनुसार यह सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि देश की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर हमला है. याचिका में कहा गया है कि पीड़ित परिवार आज भी अंधेरे में हैं उन्हें यह तक नहीं पता कि उनके अपनों को क्यों मारा गया और इसके पीछे कौन-सी ताकतें थीं.

आतंकवाद से जुड़ी जांचों में लंबित समस्याएं

दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में दलील दी गई है कि कई बार सरकारें आश्वासन तो देती हैं, लेकिन असल में सिर्फ न्यायिक निगरानी ही यह सुनिश्चित कर सकती है कि सबूत सुरक्षित रहें, एजेंसियां मिलकर काम करें, गवाहों की रक्षा हो और जांच सिर्फ आरोपियों तक सीमित न रहकर घटना के मकसद और इरादे तक पहुंचे. याचिका में UAPA के पुराने मामलों का भी जिक्र है और कहा गया है कि बीते 30 सालों में आतंकवाद से जुड़ी कई जांचें देरी के कारण कमजोर पड़ती गईं. TADA, POTA और UAPA के बहुत से केस 12 से 27 साल तक चलते रहे, जिसके चलते गवाहों की याद कमजोर पड़ी, कई गवाह होस्टाइल हो गए और सबूतों की कड़ी टूट गई.

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 कोर्ट-मॉनिटर स्पेशल रेजीम की जरूरत

याचिकाकर्ता का कहना है कि हाई कोर्ट की सीधी निगरानी में रोज-रोज की सुनवाई ही सच को जल्दी, निष्पक्ष और बिना किसी बाहरी दबाव के सामने ला सकती है. इसलिए कोर्ट-मॉनिटर स्पेशल रेजीम लागू करना कोई असाधारण कदम नहीं, बल्कि न्याय प्रणाली में भरोसा बनाए रखने के लिए जरूरी है.