Delhi Latest News: दिल्ली हाईकोर्ट ने 11 साल पुराने हत्या मामले में आरोपी के डीएनए टेस्ट की अनुमति दी है ताकि सच सामने आ सके. जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने आदेश दिया कि पीड़ित और आरोपी के खून से सनी शर्ट्स को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाए. यह फैसला पीड़ित के पिता की याचिका पर सुनवाई के बाद आया.

क्या है पूरा मामला?मामला मई 2013 का है, जब पीड़ित के पिता ने आरोपी पर हत्या का आरोप लगाया था. ट्रायल कोर्ट में DNA टेस्ट की मांग खारिज होने पर पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने कहा कि न्याय के लिए सच्चाई सामने आनी चाहिए, चाहे मामला कितना भी पुराना हो.

कोर्ट ने यह भी साफ किया कि डीएनए टेस्ट का परिणाम आरोपी के पक्ष या विपक्ष, किसी के भी पक्ष में जा सकता है. यह मानने का कोई कारण नहीं कि परीक्षण केवल शिकायतकर्ता के पक्ष में ही होगा. अगर वैज्ञानिक सबूत मिलते हैं, तो उन्हें केवल देरी के आधार पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए.

2 महीने में दें रिपोर्ट- दिल्ली हाईकोर्टहाईकोर्ट ने आदेश दिया कि 15 दिनों के भीतर मौजूदा सबूत (कपड़े और आरोपी का ब्लड सैंपल) फॉरेंसिक लैब भेजे जाएं और 2 महीने के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए. हालांकि, अदालत ने स्वीकार किया कि 2013 में जब्त किए गए कपड़ों से डीएनए टेस्ट में सकारात्मक परिणाम न भी मिल सकते हैं, लेकिन वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने का प्रयास किया जाना चाहिए.

कोर्ट ने टिप्पणी की कि साक्ष्य अधिनियम और दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) एक सदी पहले बने थे, जब वैज्ञानिक तकनीकें उपलब्ध नहीं थीं. अब जब आधुनिक तकनीकें हैं, तो पुरानी प्रक्रियाओं पर अड़े रहना उचित नहीं. संविधान के आर्टिकल 51A (H) और (J) का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह वैज्ञानिक सोच अपनाए.

आरोपी ने हाईकोर्ट में डीएनए टेस्ट की मांग का विरोध किया. उसका कहना था कि यह अभियोजन पक्ष की कमजोरियों को ढकने का प्रयास है और उसके कपड़ों की जब्ती साबित नहीं हुई है. लेकिन, हाईकोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा ट्रायल के अंत में देखा जाएगा. कोर्ट ने माना कि डीएनए टेस्ट एक वैज्ञानिक और निष्पक्ष तरीका है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. अब फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद ही सच सामने आएगा कि आरोपी दोषी है या निर्दोष.